12 April 2020

WISDOM -----

  वक्त  के  साथ  हर  शब्द  के  मायने  बदल  जाते  हैं  l   कभी  पूंजीपतियों  और  श्रमिकों  में  वर्ग संघर्ष  होता  था  , तब  पूंजीपतियों  का  हथियार  था --- तालाबंदी  l  श्रमिकों  का  काम  बंद  हो  जाता  था   और  उनके  परिवारों  की  भूखों  मरने  की  नौबत  आ  जाती  थी  l
  वजह  कुछ  भी  हो   नुकसान  तो  आज  भी   इसी  वर्ग  को  है  l   अमीरों  ने  तो  इतनी  सम्पति  जोड़  के  रखी    है  कि  वर्षों  तक  बैठ  कर  खाएंगे  तो  खतम   नहीं  होगी  ,  उनके  घर  में  ही  सब  सुख - सुविधाएँ  हैं  l   बड़े - बुजुर्ग  कहते  रहे  जो  परिश्रम  करेगा ,  वह  कभी  भूखों  नहीं  मरेगा  ,  कहीं  न  कहीं  मेहनत   कर  के  कमा  ही  लेगा  l   लेकिन  अब  तस्वीर  उलट  गई  l  मालिक  काम  ही  नहीं  कराना   चाहता  तो  परिश्रमी  क्या  करे  ? 
  कहते  हैं  ' आलस्य ' मनुष्य  का  सबसे  बड़ा  शत्रु  है  ,  अपनी  प्रगति  चाहने  वाले  को  आलस्य  से  दूर  रहना  चाहिए  लेकिन   जब  हट्टे - कट्टे ,    युवा  ,  अपनी  मेहनत  और  अपनी  नियमित  दिनचर्या  से  अपने  जीवन  के  हर  पल  को   जीने  वालों  में   घर  में  बंद  रहकर  यह  आलस  का  दुर्गुण  कब  सूक्ष्म  रूप  से  प्रवेश  कर  जाये ,  कोई  नहीं  जनता  l
  इस  धरती पर  मानव  ने    ने  बड़े - बड़े   भीषण   युद्ध , आपदाएं ,  महामारी   और  उतार - चढ़ाव  देखे  हैं  और  हर  चुनौती  का   मनुष्य  ने  बड़ी  वीरता  से  मुकाबला  किया   l   परिस्थितियों   से  हार  नहीं  मानी  l  पुन:  उठ  खड़ा  हुआ   l    मनुष्य    इतना  भयभीत  पहले  कभी  नहीं  था  कि   उसे  इस  तरह  घर  में   दुबकना  पड़े   l 
यह  बुद्धिजीवियों ,  वैज्ञानिकों ,  धर्माधिकारियों  और  समाज   को  दिशा  देने  वालों  के  चिंतन  का  विषय  है  l 

WISDOM -----

  महाभारत  का  प्रसंग  है    ----- महाराज  युधिष्ठिर  से  यक्ष  ने  प्रश्न  पूछा  ---- इस  संसार  का  परम  आश्चर्य  क्या  है   ?
 युधिष्ठिर  का  उत्तर  था  ---- ' सबसे  बड़ा  आश्चर्य  है  कि  मृत्यु  को  सुनिश्चित  घटना  के  रूप  में   देखकर  भी  मनुष्य  इसे  अनदेखा  करता  है  l  वह  मृत्यु  की  नहीं ,   जीवन  की   तैयारी   कुछ  इस  अंदाज  में  करता  है  ,  जैसे  विश्वास  हो  कि  वह  कभी  मरेगा  नहीं   l   उसे  सदा - सदा  जीवित  रहना  है   l '
  मृत्यु  अनिवार्य  घटना  है  ,  इसे  रोज  देखते  हुए  भी   स्वीकार  नहीं  किया  जाता  l   वैज्ञानिक  समुदाय  ऐसी  दवाओं  की  खोज  में  तत्पर  रहता  है   जिनसे  रोग , बुढ़ापा  और  मृत्यु  को  रोका  जा  सके  l   लेकिन  उन्हें  इसमें  आज  तक  कोई  सफलता  नहीं  मिली  l
  पुराणों  में  ऐसी  कथाएं  हैं  कि   अनेक  लोगों  ने  कठोर  तपस्या  कर  के  अमरता  का  वरदान  चाहा  लेकिन  ऐसा  संभव  नहीं  हुआ  l
  जन्म  और  मरण  ईश्वर  के  हाथ  में  है  l   हमारा  जन्म  कहाँ , किस  धर्म , जाति  या  समुदाय  में  होना  है  ,  इस  पर  हमारा  कोई  वश  नहीं  होता  l   इसी  तरह  हमें  श्वास  गिनती  की  मिली  है  l   एक  तरह  से  यह  हमें  जमा पूंजी  के  रूप  में  मिली  है  , मनुष्य  जन्म  सौभाग्य  से  मिला  है  ,  अब  यह  हमारे  हाथ  में  है  कि    इस  जमा  पूंजी  को  हम  क्रोध  आदि  बुरी  आदतों  में  जल्दी  गँवा  देते  हैं  या  प्रकृति  के  साथ   संतुलन  बनाकर  स्वस्थ  और  सुन्दर  जीवन  जीते  है  l