हमारे महाकाव्य हमें बहुत कुछ सिखाते हैं लेकिन मनुष्य अपनी मानसिक विकृतियों में इस तरह फँसा हुआ है कि वह कुछ सीखना ही नहीं चाहता इसलिए गलतियाँ बार -बार दोहराई जाती हैं और कर्म का फल तो ईश्वरीय व्यवस्था है l रावण परम शिव भक्त था , वेद , शास्त्रों का ज्ञाता महा विद्वान् था l वह कुशल राजनीतिज्ञ और अस्त्र -शस्त्र का ज्ञाता , देवी का भक्त था , अनेक गुणों से संपन्न था l ऋषि पुत्र था लेकिन स्वयं को राक्षस राज रावण कहने में गर्व महसूस करता था l अपनी प्रवृति के अनुरूप उसने ऋषियों पर बहुत अत्याचार किए , शनि और राहू तक को कैद कर लिया l उसके प्रतिनिधि राक्षस सब तरफ बहुत आतंक मचाते थे l अनेक पाप कर्मों के बावजूद उसकी सोने की लंका कायम थी , उसका विशाल साम्राज्य था l उसका पतन कब से शुरू हुआ ? जब उसने सीताजी का हरण किया l नारी पर अत्याचार प्रकृति बर्दाश्त नहीं करती l एक लाख पूत और सवा लाख नाती , रावण के पूरे वंश का अंत हो गया l इसी तरह महाभारत में में दुर्योधन ने पांडवों पर बहुत अत्याचार किए , अनेक षड्यंत्र रचे l इसके बावजूद स्थिति सामान्य ही रही लेकिन जब उसने भरी सभा में द्रोपदी को अपमानित किया , उसी पल से महाभारत की शुरुआत हो गई और उसने स्वयं ही अपने हाथ से कौरव वंश के अंत का दुर्भाग्य लिख लिया l आज भी संसार में नारी पर बहुत अत्याचार होते हैं , मानसिक विकृति इस हद तक है कि बच्चियां भी सुरक्षित नहीं हैं l परिवार हो , समाज हो या सभ्यताएं , अपने अंत की कहानी स्वयं ही लिखते हैं l
21 August 2022
WISDOM ------
अनमोल मोती ------ तुर्की के एक अमीर के पुत्र खुसरो को सत्यान्वेषण की ऐसी धुन लगी कि वह सब जायदाद , ऐश्वर्य सब छोड़कर फकीर बन गया l उसे किसी सत्पुरुष की तलाश थी , जो उसका आध्यात्मिक मार्गदर्शन कर सके l संयोगवश उसकी भेंट हजरत निजामुद्दीन औलिया से हुई l दोनों ने एक दूसरे को पाकर संतोष व्यक्त किया l औलिया को लगा कि अब एक सत्पात्र शिष्य मिल गया l फिर भी परीक्षा लेनी जरुरी थी l औलिया ने कहा ----- " तुम विद्वान् हो l इतनी भाषाएँ -- अरबी , फारसी , संस्कृत व अन्य हिन्दुस्तानी भाषाएँ भी तुम्हे आती हैं l तुम्हे राजदरबार जाना चाहिए l " खुसरो ने कहा ------ " मैं सब छोड़कर आपके दरबार में आया हूँ l मुझे किसी शाही दरबार की जरुरत नहीं l " हजरत औलिया ने उत्तर से प्रसन्न होकर उसे शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया l आध्यात्मिक क्षेत्र की प्रगति गुरु के मार्गदर्शन में चलती रही l हिंदुस्तान की तब की स्थिति को देखते हुए हजरत साहब ने खुसरो से कहा ----- " मैं तुम्हे अपने लिए , देश के लिए कुरबान करना चाहता हूँ l तुम हिन्दू - मुस्लिम के बीच फैली नफरत की आग को बुझाओ l पूरे हिंदुस्तान का दौरा करो l वह फिजा बनाओ कि पूरा राष्ट्र एक रह सके l " अमीर खुसरो गुरु का आदेश मानकर देश के कोने -कोने में गए , संस्कृति और मान्यताओं से जुड़े अपने गीत सुनाए l तत्कालीन राष्ट्रीय एकता में खुसरो का बड़ा हाथ रहा है l आज भी भारत ही नहीं नहीं , पूरे विश्व को अनेक अमीर खुसरो की जरुरत है l