29 April 2021

WISDOM -----

   यह   कथा है  उस  समय  की  जब   भगवान  श्रीराम  ने  स्वयं  भोलेनाथ  भगवान  शंकर जी  से   अनुरोध  किया  था   कि   आप  कृपा  कर  के   भविष्य  में   अनुत्तरदायी  व्यक्तियों  तक  शक्ति  और  सत्ता  न  पहुँचने  दें  l   उससे  उलटा   परिणाम  निकलता  है  ,  क्योंकि   शक्ति  और  सत्ता   जब  अनाधिकारी   व्यक्ति  के  हाथों  में  चली  जाती  है  ,  तो  उसका  दुरूपयोग  ही  होता  है   l '  कथा  है  -----  ' मधु ' नामक  दैत्य  था  l  दैत्य  होते  हुए  भी  वह  बहुत  दयालु  , भगवद्भक्त  और  अहिंसक  था  , उसने  शिवजी  को  प्रसन्न  कर  के  वरदान   में   त्रिशूल  प्राप्त  कर  लिया  l   उसने  भगवान  से  प्रार्थना  की  कि   यह  त्रिशूल  सदा  उसके  वंश  में  रहे  l  शंकर जी  बोले --- ' ऐसा  नहीं  होगा  , यह  त्रिशूल  तुम्हारे  केवल  एक  पुत्र  के  पास  रहेगा   l '  मधु  दैत्य  का  पुत्र  लवणासुर  बहुत  क्रोधी , निर्दयी , अत्याचारी  , दुराचारी  था  l  जब  दुष्ट  व्यक्तियों  के  हाथ  में  सत्ता  और  शक्ति  आ  जाती  है  तो  वे  इसका  दुरूपयोग  करते  हैं  l  लवणासुर  भी  सत्ता  पाकर   अन्य  राज्यों  में  लूट , क़त्ल  व  अन्याय  करने  लगा   l इससे  प्रजा , ऋषि -मुनि   सब बहुत  दुःखी   हो  गए  l   उन  दिनों   अयोध्या  में  भगवान  श्रीराम   का राज्य  था  l   सभी  लोग  भगवान  की  शरण  में  गए  और  सब  व्यथा  कही  l   भगवान  ने  कहा --- '  अनाधिकारी   व्यक्ति  यदि  अपनी  शक्ति  व  सत्ता  का   दुरूपयोग  करता  है   तो  किसी  भी   तरह  उसे  रोकने  में  संकोच  नहीं  करना  चाहिए  l '  उन्होंने  अपने  छोटे  भाई   शत्रुध्न  को  लवणासुर  का  वध   करने  के लिए  भेजा  और  सचेत  किया  कि   जब  लवणासुर  के  हाथ  में  त्रिशूल  नहीं  होगा  तभी  उसका  वध  संभव  है  l  ऋषियों  ने  बताया  कि  जब  प्रात:काल  वह  आहार  के  लिए  जाता  है  तब  उसके  हाथ  में  त्रिशूल  नहीं  होता  है  l   षत्रुधन  जी  ने  सही  वक्त  पर  लवणासुर  पर  आक्रमण  कर  उसका  वध  कर  दिया  l  शिवजी  का  त्रिशूल  भी   उनके पास  चला  गया  l   किसी  के  पास  भगवान  की  दी   हुई  शक्ति  ही  क्यों   न हो  ,  यदि  वह   उसका  दुरूपयोग  करेगा   तो   उसका अंत   भी   निश्चित  है   l