29 April 2022

WISDOM ----

    काल  का  पहिया  ----- समय  का  चक्र  चलता  रहता  है   l  भगवान  ने  गीता  में  कहा  है  --- कर्म  करने  के  लिए  तुम  स्वतंत्र  हो    लेकिन  उसके  परिणाम  से   बच    नहीं  सकते  l '     मनुष्य  अहंकार  के  वशीभूत  होकर  स्वयं  को  भगवान  समझने  लगता  है  l  अहंकार  मनुष्य  का  दुर्गुण  है  इसलिए  इस  दुर्गुण  से  ग्रस्त  मनुष्य   छल - कपट , धोखा , षड्यंत्र  ,  पीठ  में  छुरा  भोंकना  जैसे  नीच  कर्म  करता  है   l    ईश्वर  तो  श्रेष्ठता  का  समुच्च्य   हैं   और   पाप    कर्म  करने  वाले   स्वयं  को  भगवान  समझें  ,    यह  मनुष्य  की  दुर्बुद्धि  है  l    रावण  और  दुर्योधन   केवल  उस  युग  में  ही  नहीं  हुए   ,  वे  हर  युग  में  हुए  हैं   और  उनका  अंत  सबका  एक  जैसा  ही  होता  है   l   वे  स्वयं  तो  डूबते  ही  हैं  ,  अपना  साथ  देने  वालों  को  भी  ले  डूबते  हैं  l    यही  उनका  प्रारब्ध  है   l    ईश्वर  तो  सदा  से  यही  चाहते  हैं  कि   मनुष्य  की  चेतना  का  स्तर  ऊँचा  उठे  ,  वह  कम  से  कम  इनसान   तो  बने  l    जब  तक  मनुष्य  स्वयं  नहीं  सुधरना  चाहे  ,  उसे  कोई  नहीं  सुधार  सकता   l  रावण  को  समझाने   तो  श्री  हनुमान जी  गए  l   अंगद ,  विभीषण   और  रावण  की  पत्नी  मंदोदरी  ने  उसे  बहुत  समझाया  लेकिन  वह  नहीं  सुधरा  l  दुर्योधन  को  समझाने  तो  साक्षात्  भगवान  कृष्ण  गए   l   समझना  तो  दूर ,  वह  तो  उन्हें  ही  बंदी  बनाने  चला   l  ' जब  नाश  मनुज  पर  छाता  है  पहले  विवेक  मर  जाता  है  l  '