22 December 2019

WISDOM ----- चाटुकारिता प्रिय इनसान में विवेक का अभाव होता है

    जब  किसी  व्यक्ति  की  प्रशंसा   अपना  स्वार्थ  साधने  के  लिए ,  अपना  काम  निकालने   के  लिए  ,  देश - काल - परिस्थितियों  का  ज्ञान  किए   बगैर  की  जाती  है  तो  उसे  चाटुकारिता  कहते  हैं  l   चाटुकारिता प्रिय  इनसान    बिना  विचारे  अपनी  प्रशंसा  करने  वाले  पर  मेहरबान  हो  जाता  है   l   राजतन्त्र  में  राजा  को  खुश  करने  के  लिए   विशेष  रूप  से  विशेषज्ञ   चाटुकारों  की  व्यवस्था  की  जाती  थी  l
  वर्तमान  समय  में   विभिन्न  संस्थाओं  में ,  आफिसों  में ,  कार्पोरेट   सेक्टर  में   और  नेताओं  को  उनसे  नीचे  ओहदे  वाले   ,  चाटुकारी  कर  के  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करते  हैं   l   मनुष्य  की  अपनी  कमजोरियां  हैं ,  वह  झूठी  प्रशंसा  सुनकर  फूला   नहीं  समाता  l
  अपने  आका  की  हाँ  में  हाँ  मिलाना  भी  चाटुकारिता  है  l   अकबर  बीरबल  का  एक  संवाद  है --- अकबर  ने  कहा ---- " बैंगन  कितना  सुन्दर  है  l  "  बीरबल  ने  कहा --- " हाँ ,  महाराज  ! देखिए ,  यह  कितना  सुन्दर  है  !  इसके  सिर   पर   मुकुट  जैसा  ताज  है  l  "
  फिर  अकबर  ने  कहा --- " बैंगन  भी  कोई  सब्जी  है  भला  ! '
 बीरबल  ने  उसी  अंदाज  में  जवाब  दिया --- " महाराज  ! बैंगन  कितना  काला - कलूटा  है  l  यह  तो  बेपेंदी  के  लोटे  के  समान   जिधर  लुढ़का  दो  ,  लुढ़क  जाता  है  l  "
   जब  व्यक्ति  में  विवेक  होगा  ,  तभी  वह   सच्चाई  को  समझ  सकेगा  l