7 July 2020

WISDOM ----- चरित्र मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पदा है

 सिकन्दर   का  सपना  विश्वविजय  का  था  , इस  अभियान  में  उसने  अनेक  राजाओं  को  परास्त  किया   l   फारस  का  राजा  दारा  बहुत  वीर  था  और  अपने  को   सारे  संसार  का  स्वामी   समझता  था  l  सिकंदर  ने  उसे  भी  पराजित  कर  दिया  l   दारा   मैदान  छोड़कर  भाग  निकला , उसकी  माँ , पत्नी  व  बच्चे  पकड़े   गए  l    दारा   की  पत्नी  बहुत  रूपवती  थी  l   सिकन्दर   , अरस्तु  का  शिष्य  था   और  जानता   था  कि   चरित्र  मनुष्य  की  सबसे  बड़ी  सम्पदा   है  l   वह  उनके  साथ  बड़ी  सभ्यता  से  पेश  आया  और  उनकी  सुरक्षा  का  प्रबंध  किया   l   सिकन्दर   में  चारित्रिक  बल  था  , पराजितों  के  साथ  सम्मानजनक  व्यवहार  करना  उसकी  नीति   थी   l
 दारा   ने  पराजित  होकर  भी  आत्म समर्पण  नहीं  किया   और  अपने  बचे  हुए  सैनिकों  के  साथ  इधर - उधर  भागता  फिरा  l  एक  दिन  उसके  ही  एक  सैनिक  ने  उसे   छुरों  से  घायल  कर  दिया   और  मरा   समझकर  छोड़  दिया  l  सिकन्दर   को  वह  मृतप्राय  दशा  में  मिला   l  अपने  मरणासन्न  शत्रु  को  उसने  अपना  दुशाला   ओढ़ाकर  सम्मान  प्रकट  किया  l   दारा   ने  उसे   अपनी  पत्नी  व  बच्चों   के  प्रति  किये  सभ्य  व्यवहार  के  लिए  धन्यवाद  दिया   l   सिकन्दर   की  इस  उदारता  के  कारण  उसकी  सेना  के  कुछ  उच्च  अधिकारी  उससे  अप्रसन्न  हो  जाते  थे   किन्तु  वह  उनकी  इस  अप्रसन्नता  की  चिंता  किए  बिना   अपनी  इस  नीति   पर  दृढ़   रहता  था  l                                                                                                                                                                                                                                                                                                       

WISDOM ------

 अमेरिका  के  प्रसिद्ध   धनपति  हेनरी  फोर्ड  अंतर्राष्ट्रीय  शांति  के  पक्षपाती  थे  l  वे  नहीं  चाहते  थे  कि   कोई  राष्ट्र  अपने  पास  शस्त्रों  का  विशाल  भंडार  रखे  l  उनमे  एक  सच्चे  मानव  के   गुण   थे  , वे  कहते  थे  कि  शस्त्रों   की  होड़  मानव  के  लिए  हितकर  नहीं  है  l  उन्होंने  अपार  धन  अर्जित  किया   लेकिन  कभी  उस  पर  गर्व  नहीं  किया  और  उसका  उपयोग  जन  - कल्याण  के  लिए  किया   l
 हेनरी  फोर्ड  के  कारखाने  में   18000  आदमी  काम  करते  थे  , उनमे  नवयुवक , ह्रष्ट - पुष्ट  कर्मचारी   बहुत  कम  थे , अधिकांश  अंधे , काने , लंगड़े , लूले , अपंग   कर्मचारियों   को  उन्होंने  अपने  कारखाने  में  काम  दिया  l   वह  ये  नहीं  देखते  कि  यह  व्यक्ति  मेरे  यहाँ  काम  कर  सकेगा  या  नहीं   वरन  यह  देखते  कि   कौन  सा  काम  देकर  उसे   रोजगार  दिया  जाये  l  समाज  में  जो  कैदी  स्थान  नहीं  पा  सकते  , उनको  भी  वे  अपने   यहाँ  काम  देते  थे  l  ईश्वर  ने  उन्हें  धन  दिया  ,  उस  धन  को  उन्होंने   अधिक  से  अधिक  लोगों  को  रोजगार  देने  में  लगाया  l   ऐसे  लोग  जिन्हे  कहीं  काम  नहीं  मिलता  ,  वे  इनके  यहाँ  काम  पाते l   एक  घाटे  में  चलने  वाली  जहाज  कंपनी  इन्होने  खरीद  ली  l  मजदूर   हड़ताल  कर  रहे  थे  l  खरीदने  के  दूसरे  ही  दिन  इन्होने  घोषणा  कर  दी   कि   मजदूरों  को  उनकी  मांग  के  बराबर  वेतन  दिया  जाये  l   मजदूर   काम  पर  लौट  आये   और  थोड़े  ही  समय  में  घाटा  भी  पूरा  हो  गया  l   हेनरी  फोर्ड  ने  इस  प्रयोग  से  दिखा  दिया  कि   उदारता  का  परिणाम  शुभ  होता  है  l
  हेनरी  फोर्ड  का  जीवन  प्रेरणा  स्रोत  है  l   आज  के  समय  में   अच्छे  लोग  भी  हैं   लेकिन  अनेक  ऐसे  भी  हैं  जो  अपने  धन - सम्पदा  के  बल  पर   अपनी  हुकूमत  चलाना   चाहते  हैं  l  अति  हर  चीज  की  बुरी  होती  है  l   धन  बहुत  है  , लेकिन  यदि  उसका  सदुपयोग  नहीं  किया , नि:स्वार्थ  भाव  से  लोक - कल्याण  के  कार्यों  में  उसका  उपयोग  नहीं  किया   तो  यह  सम्पदा  अनेक  मानसिक  विकृतियों  को  जन्म  देती  है   जिसका  परिणाम  संसार  भुगतता  है  l