पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- जीवन में शुभ अवसर एक बार आता है और चला जाता है l शुभ अवसर जिंदगी के दरवाजे पर केवल एक बार ही दस्तक देता है l उसे सुन सकें और पहचान सकें तो ठीक , अन्यथा वह सदा के लिए चला जाता है , परन्तु दुर्भाग्य तब तक दस्तक देता है , जब तक कि दरवाजा खुल न जाये और दरवाजा खुलते ही दुर्भाग्य ऐसे अंदर प्रवेश करता है कि वह अपनी पूरी क्षमता और समर्थ के साथ व्यक्ति को धार दबोच लेता है l जब तक व्यक्ति दस - बीस साल उसके नियत भोगकाल को भोग नहीं लेता , पीछा नहीं छूटता है l यह पल भर का खेल है , यदि शुभ अवसर को पहचान सकें और उसके लिए दरवाजा खोल सकें तो जीवन उपलब्धियों से महक उठता है l " आचार्य श्री लिखते हैं ---निष्काम कर्म से , सन्मार्ग पर चलने से ईश्वरीय कृपा से हमें विवेकदृष्टि का अनुदान मिलता है l विवेक दृष्टि से ही उचित चीजों का निर्णय हो पाता है , हम अवसर को पहचानते हैं और उचित निर्णय ले पाते हैं l