17 February 2021

WISDOM ------

  जलियांवाला  बाग   के  बाद  गुरुदेव  रवीन्द्रनाथ  टैगोर  ने  जगह - जगह  यात्राएं   की  l   एक  यात्रा  तो   कलकत्ता  से   पेशावर   तक  बैलगाड़ी  से  की  l   जलियांवाला   कांड    से  गुरुदेव  बहुत  आहत   हुए   और  उन्होंने  ' सर '  की  उपाधि  का  त्याग  करते  हुए   तत्कालीन   वायसराय  चेम्स  फोर्ड   को  पत्र  लिखा  l    उसमे  सर  या  नाइट   की  उपाधि  को  सम्मान  का  पट्टा   बताया  था  l  उस  पत्र  का  एक  अंश   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  अपनी  नोट   बुक  में  लिख  लिया  था  l   वह  अंश  इस  प्रकार  है ------ " हमारी  आँखें  खुल  गई  हैं   कि   हमारी  अवस्था  कैसी  असहाय  है  l   भारतीय  जनता  को  इस  समय  जो  दंड  दिया  गया  ,  उसकी  मिसाल  किसी  भी   सभ्य देश  और  सभ्य  सरकार  के  इतिहास  में  नहीं  मिलती   l  विडंबना  है   कि   इस  कृत्य  के  लिए  लज्जा   और  ग्लानि  अनुभव  करने  के  स्थान  पर   आप  अपने  आपको  शाबाशी  दे  रहे  हैं   कि   आपने   भारतीयों   को  अच्छा  सबक  सिखाया  l  "       " अधिकांश  एंग्लोइंडियन   अख़बारों  ने  इस  निर्दयता  की  प्रशंसा  की  है  ----- सरकारी  अधिकारियों   ने   उन  पत्रों  पर  तो  कोई  प्रतिबंध   नहीं  लगाया  ,   उलटे  भारतीय  समाज  से   सहानुभूति  रखने  वाले   पत्रों  का  ही  गला    दबाया   l   इस  अवसर  पर  मैं   कम   से  कम  इतना  तो  कर  ही  सकता  हूँ   कि   जो  भी  दुष्परिणाम  हों ,  उन्हें  भोगने  के  लिए  तैयार  रहकर    उन  करोड़ों  देशवासियों  की  ओर   से  विरोध  व्यक्त  करूँ  ,  जो  आतंक  और   भय   के  कारण   चुपचाप  सरकारी  दमन  सहन  कर  रहे  हैं   l   सरकार   द्वारा  दिए  गए  सम्मान  के  पट्टे   राष्ट्रिय  अपमान  के  साथ  और  मेल  नहीं  खा   सकते ,  वे  हमारी  निर्लज्जता  को  और   भी  चमका  देते  हैं  l   अत:  मैं  विवश  होकर   आदर  सहित   अनुरोध  कर  रहा  हूँ   की  आज  मुझे   सम्राट  की  दी  हुई   नाइट  की  उपाधि  से  मुक्त  कर  दें   l "

WISDOM ------

   प्रसंग  रूस  के  एकछत्र  नायक  रहे  ब्रेझनेव  से  संबंधित   है   l   वे  जब  भारत  आए   तो  राजधानी  में  विभिन्न  विशिष्ट  लोगों  से  मुलाकात  की  l   रामकथा  के  प्रसिद्ध   विद्वान   और  वाचक  पंडित  कपींद्र   जी  भी  उनसे  मिले   l   उन्होंने  ब्रेझनेव  को  रामचरितमानस  भेंट  की   और  कहा  कि    इस ग्रन्थ  में    जहाँ  राम  है  वहां  ' साम्यवाद  '  रख  देना  l   सीता  के  स्थान  पर   ' शक्ति '    और  असुर  के  स्थान  पर  ' पूंजीपति  '  फिर  आपको  इस  ग्रन्थ  की  महत्ता  का  पता  चलेगा   l