अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति आइजनहावर ने अपनी पुस्तक 'क्रूसेड इन यूरोप ' में लिखा है--- " यदि जर्मन अपने नवीन अस्त्रों को जिस समय काम में ला सके उसके छह महीने पहले यदि उन्हें काम में ला सके होते तो यूरोप पर मित्र राष्ट्रों का आधिपत्य रह पाना कठिन ही नहीं असंभव भी हो जाता । "
जर्मन लन्दन पर ही 50000 अपने नवीनतम अस्त्र वी-१ गिराना चाहते थे लेकिन वह केवल 2000 बम ही गिरा सके । यह देरी जर्मन की तरफ से नहीं हुई, किन्तु उनके इन भ्रष्ट इरादों को मिट्टी में मिला देने के लिए एक व्यक्ति अपनी जान पर खेला था, उसकी सूचनाओं के कारण ब्रिटिश वायुसेना उन बम-वर्षक अड्डों को भूमिसात कर सकी थी जहां से समूचे इंग्लैंड पर वी-१ बमों की वर्षा की जाने वाली थी । यह साहसी व्यक्ति था---- फ्रांस का एक साधारण औद्दोगिक डिजाइनर माइकल होराल्ड ।
होराल्ड पेरिस के एक अनुसन्धान केंद्र का अल्प वेतनभोगी कर्मचारी था । दूसरे विश्वयुदध के समय जब पेरिस पर जर्मन सेना का अधिकार हों गया तो उसके मालिक कों भी जर्मनों के लिए काम करना पड़ा । तब होराल्ड ने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और नाजियों के विरुद्ध संघर्ष करने की ठान ली । वह विशेषकर ब्रिटेन के लिए अपनी जासूसी सेवाएँ देना चाहता था । होराल्ड ने यह निश्चय किसी भावुकता में नहीं किया था, इसके पीछे उसकी अंत:प्रेरणा थी जो उसे प्रेरित कर रही थी कि विश्वशांति के लिए संकट उपस्थित करने वालों के विरुद्ध उसे जमकर संघर्ष करना है ।
उसने विश्वयुद्ध के दौरान 49 बार फ्रांस तथा स्विट्जरलैंड की सीमाओं को पार किया था | फ्रांस पर जर्मनी का अधिकार था तथा स्विट्जरलैंड तटस्थ राष्ट्र था । यहां उन्हें ब्रिटिश सरकार के गुप्तचर मिल जाते थे जिन्हें वे जर्मन सेना की गतिविधियों तथा बमवर्षक अड्डों के नक्शे व पते दिया करते थे | होराल्ड तथा उनके साथियों ने सबसे बड़ा कार्य जो किया वह वी--१ बमवर्षक अड्डों की सूचना एकत्रित करके ब्रिटिश सरकार तक पहुँचाना था । होराल्ड और उसके साथियों ने तीन वर्ष तक देश का चप्पा-चप्पा छान डाला, जहां भी नई इमारत बन रही होती वहां मजदू र के वेश में, भिखारी के वेश में पहुंच जाते और पता लगाते कि कोई बमवर्षक अड्डा तो नहीं बन रहा । उन्होंने ऐसे सौ अड्डों का पता लगा लिया । इन अड्डों के नक्शे बनाना, ट्रेस करना, फ्रांस की सीमा पार कर ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों तक पहुँचाना , यह सब बहुत साहस तथा जोखिम का कार्य था | जर्मनों को भी आश्चर्य होता कि उनके बनते हुए अड्डे किस प्रकार नष्ट हो जाते हैं, इंग्लैंड को इन गुप्त भेदों का पता कैसे चल जाता है । युद्ध के अंतिम समय में उन्हें जर्मन सेना द्वारा पकड़ लिया गया और एक अँधेरे जहाज में समुद्र में उतार दिया गया किन्तु रेडक्रासशिप की सहायता से उन्हें बचा लिया गया । साहसिक कार्यों के लिए होराल्ड को ब्रिटिश सेना का सर्वोच्च पदक दिया गया । इस सर्वोच्च पदक को प्राप्त करने वाले प्रथम विदेशी नागरिक थे । इतिहास के पृष्ठों में माइकल होराल्ड का नाम विश्व मानवता की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वालों का प्रेरणास्रोत बना रहेगा ।
जर्मन लन्दन पर ही 50000 अपने नवीनतम अस्त्र वी-१ गिराना चाहते थे लेकिन वह केवल 2000 बम ही गिरा सके । यह देरी जर्मन की तरफ से नहीं हुई, किन्तु उनके इन भ्रष्ट इरादों को मिट्टी में मिला देने के लिए एक व्यक्ति अपनी जान पर खेला था, उसकी सूचनाओं के कारण ब्रिटिश वायुसेना उन बम-वर्षक अड्डों को भूमिसात कर सकी थी जहां से समूचे इंग्लैंड पर वी-१ बमों की वर्षा की जाने वाली थी । यह साहसी व्यक्ति था---- फ्रांस का एक साधारण औद्दोगिक डिजाइनर माइकल होराल्ड ।
होराल्ड पेरिस के एक अनुसन्धान केंद्र का अल्प वेतनभोगी कर्मचारी था । दूसरे विश्वयुदध के समय जब पेरिस पर जर्मन सेना का अधिकार हों गया तो उसके मालिक कों भी जर्मनों के लिए काम करना पड़ा । तब होराल्ड ने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और नाजियों के विरुद्ध संघर्ष करने की ठान ली । वह विशेषकर ब्रिटेन के लिए अपनी जासूसी सेवाएँ देना चाहता था । होराल्ड ने यह निश्चय किसी भावुकता में नहीं किया था, इसके पीछे उसकी अंत:प्रेरणा थी जो उसे प्रेरित कर रही थी कि विश्वशांति के लिए संकट उपस्थित करने वालों के विरुद्ध उसे जमकर संघर्ष करना है ।
उसने विश्वयुद्ध के दौरान 49 बार फ्रांस तथा स्विट्जरलैंड की सीमाओं को पार किया था | फ्रांस पर जर्मनी का अधिकार था तथा स्विट्जरलैंड तटस्थ राष्ट्र था । यहां उन्हें ब्रिटिश सरकार के गुप्तचर मिल जाते थे जिन्हें वे जर्मन सेना की गतिविधियों तथा बमवर्षक अड्डों के नक्शे व पते दिया करते थे | होराल्ड तथा उनके साथियों ने सबसे बड़ा कार्य जो किया वह वी--१ बमवर्षक अड्डों की सूचना एकत्रित करके ब्रिटिश सरकार तक पहुँचाना था । होराल्ड और उसके साथियों ने तीन वर्ष तक देश का चप्पा-चप्पा छान डाला, जहां भी नई इमारत बन रही होती वहां मजदू र के वेश में, भिखारी के वेश में पहुंच जाते और पता लगाते कि कोई बमवर्षक अड्डा तो नहीं बन रहा । उन्होंने ऐसे सौ अड्डों का पता लगा लिया । इन अड्डों के नक्शे बनाना, ट्रेस करना, फ्रांस की सीमा पार कर ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों तक पहुँचाना , यह सब बहुत साहस तथा जोखिम का कार्य था | जर्मनों को भी आश्चर्य होता कि उनके बनते हुए अड्डे किस प्रकार नष्ट हो जाते हैं, इंग्लैंड को इन गुप्त भेदों का पता कैसे चल जाता है । युद्ध के अंतिम समय में उन्हें जर्मन सेना द्वारा पकड़ लिया गया और एक अँधेरे जहाज में समुद्र में उतार दिया गया किन्तु रेडक्रासशिप की सहायता से उन्हें बचा लिया गया । साहसिक कार्यों के लिए होराल्ड को ब्रिटिश सेना का सर्वोच्च पदक दिया गया । इस सर्वोच्च पदक को प्राप्त करने वाले प्रथम विदेशी नागरिक थे । इतिहास के पृष्ठों में माइकल होराल्ड का नाम विश्व मानवता की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वालों का प्रेरणास्रोत बना रहेगा ।