प्रकृति की मर्यादाओं ---- नियत नियमों की अनुकूल दिशा में चलकर ही सुखी और शांत रहा जा सकता है ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य l
ग्रह - उपग्रह , नक्षत्र , तारे एक नियम मर्यादा के अनुसार चलते हैं l वे अपने निश्चित विधान का कभी उल्लंघन नहीं करते l कीड़े - मकोड़े और पक्षियों में यह विशेषता पाई जाती है कि वे अपने भीतर की किसी अज्ञात घड़ी के मार्गदर्शन से अपनी गतिविधियाँ व्यवस्थित रखते हैं l केवल मनुष्य ही ऐसा है जो बार - बार प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाने की धृष्टता करता है l
आज संसार में जो समस्या है वह मनुष्य की धृष्टता का ही परिणाम है l यदि हम जागरूक नहीं हैं और हमने विज्ञान की आधुनिक तकनीकों और आविष्कारों से प्राप्त सुख - सुविधाओं को स्वीकार कर लिया है तो हमें उसके विनाशकारी परिणाम भी स्वीकार करने पड़ेंगे l जैसे फ्रिज , टीवी , ए.सी. , मोबाइल , रासायनिक खाद , बीज , कीटनाशक आदि का हम उपयोग करते हैं l इनके दुष्प्रभावों को विशेषज्ञ अनेकों बार बता चुके हैं लेकिन हम जागरूक नहीं हैं , इन सुविधाओं की हमें आदत हो गई है तो इनके दुष्परिणाम भी हमें भुगतने पड़ते हैं l विज्ञान इसके बहुत आगे बढ़ गया है l हजारों की संख्या में कृत्रिम उपग्रह हैं , संचार के साधनों में नित्य नई तकनीक आ रही है l जब ए.सी. और मोबाइल से निकलने वाली तरंगे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं तो इनसे और अधिक विकसित तकनीक से निकलने वाली तरंगे क्या हमें जीवित रहने देंगी ? इस आधुनिकता के बीच मनुष्य का दम घुटने लगेगा l जब पक्षियों की , पेड़ - पौधों , वनस्पतियों की प्रजाति लुप्त हो रही है तो अब मनुष्य के अस्तित्व पर भी खतरा है l
विज्ञान बुरा नहीं है , लेकिन जिनके पास असीम धन - सम्पदा है और कभी न मिटने वाली तृष्णा है वे इन तकनीकों का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए , दुनिया पर राज करने के लिए करते हैं l कुछ लोगों की इस लोभ - लालसा का दुष्परिणाम सारा संसार भुगतता है और इसलिए भुगतता है क्योंकि जागरूक नहीं हैं l हम अपने स्वाभिमान को जगाएं , इससे हम निर्भय होंगे l निर्भय और आत्मविश्वासी व्यक्ति से बीमारी , भूत - प्रेत सब डर कर भागते हैं l
ग्रह - उपग्रह , नक्षत्र , तारे एक नियम मर्यादा के अनुसार चलते हैं l वे अपने निश्चित विधान का कभी उल्लंघन नहीं करते l कीड़े - मकोड़े और पक्षियों में यह विशेषता पाई जाती है कि वे अपने भीतर की किसी अज्ञात घड़ी के मार्गदर्शन से अपनी गतिविधियाँ व्यवस्थित रखते हैं l केवल मनुष्य ही ऐसा है जो बार - बार प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाने की धृष्टता करता है l
आज संसार में जो समस्या है वह मनुष्य की धृष्टता का ही परिणाम है l यदि हम जागरूक नहीं हैं और हमने विज्ञान की आधुनिक तकनीकों और आविष्कारों से प्राप्त सुख - सुविधाओं को स्वीकार कर लिया है तो हमें उसके विनाशकारी परिणाम भी स्वीकार करने पड़ेंगे l जैसे फ्रिज , टीवी , ए.सी. , मोबाइल , रासायनिक खाद , बीज , कीटनाशक आदि का हम उपयोग करते हैं l इनके दुष्प्रभावों को विशेषज्ञ अनेकों बार बता चुके हैं लेकिन हम जागरूक नहीं हैं , इन सुविधाओं की हमें आदत हो गई है तो इनके दुष्परिणाम भी हमें भुगतने पड़ते हैं l विज्ञान इसके बहुत आगे बढ़ गया है l हजारों की संख्या में कृत्रिम उपग्रह हैं , संचार के साधनों में नित्य नई तकनीक आ रही है l जब ए.सी. और मोबाइल से निकलने वाली तरंगे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं तो इनसे और अधिक विकसित तकनीक से निकलने वाली तरंगे क्या हमें जीवित रहने देंगी ? इस आधुनिकता के बीच मनुष्य का दम घुटने लगेगा l जब पक्षियों की , पेड़ - पौधों , वनस्पतियों की प्रजाति लुप्त हो रही है तो अब मनुष्य के अस्तित्व पर भी खतरा है l
विज्ञान बुरा नहीं है , लेकिन जिनके पास असीम धन - सम्पदा है और कभी न मिटने वाली तृष्णा है वे इन तकनीकों का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए , दुनिया पर राज करने के लिए करते हैं l कुछ लोगों की इस लोभ - लालसा का दुष्परिणाम सारा संसार भुगतता है और इसलिए भुगतता है क्योंकि जागरूक नहीं हैं l हम अपने स्वाभिमान को जगाएं , इससे हम निर्भय होंगे l निर्भय और आत्मविश्वासी व्यक्ति से बीमारी , भूत - प्रेत सब डर कर भागते हैं l