23 June 2021

WISDOM ------

   संसार  के  कल्याण  के  लिए   समय - समय  पर  वैज्ञानिकों  ने   ऋषि - महर्षियों  ने  विभिन्न  अनुसन्धान  एवं  प्रयोग  किये  हैं   l   यह  भी  एक  अनुसन्धान  का  विषय  है  कि     वैज्ञानिक  अनुसन्धान  करने  वाले  चाहे  संवेदनशील  हों   लेकिन  जब   उन    अविष्कारों  का  प्रयोग  किया  जाता  है  तो  सृजन  कम  और  विनाश  अधिक  होता  है  l   जैसे  -- परमाणु  बम  के  निर्माण  के   लिए  उद्देश्य  था  कि   जर्मनी  के  तानाशाह  हिटलर  को  डराया  जा  सकेगा  ,  उसकी  विनाशक -हिंसक  गतिविधि  पर  रोक  लगेगी    लेकिन  इसका  गलत  प्रयोग  हुआ  और  महाविनाश  हुआ  l   इसी  तरह  चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  वैज्ञानिक    मानव  जाति   के  अच्छे  स्वास्थ्य  और  दीर्घायु  के  लिए    नई - नई   दवाइयों  आदि  की  खोज  करते  हैं , बनाते  हैं   लेकिन  इनका  प्रयोग  जब  मनुष्यों  पर  होता  है    तो  एक  ही  दवा  से  कुछ  स्वस्थ  हो  जाते  हैं ,  कुछ  और  बीमार  हो  जाते  हैं  ----- क्योंकि  प्रत्येक  मनुष्य  की  शारीरिक  और  मानसिक  शक्ति  भिन्न - भिन्न  है  l   शारीरिक  क्षमता  का  तो  पता  लगाया  जा  सकता  है  लेकिन  मानसिक  क्षमता  को  समझना  आसान  नहीं  है   क्योंकि   हमारा  मन  वातावरण   आदि  अनेक  बातों  से  प्रभावित  होता  है   l यदि  हमें  विश्वास  है  तो   दवा  के  रूप  में  पानी  भी  दिया  जायेगा  तो  हम  स्वस्थ  हो  जायेंगे  लेकिन   यदि  भ्रष्टाचार  आदि  अनेक  कारणों   से    हम  दवा  आदि  के  प्रति  विश्वस्त  नहीं  हैं   ,    हमारा  मन  उसे  स्वीकार  नहीं  कर  रहा  है  तो  अच्छी  से  अच्छी  दवा  भी  जीवन  के  लिए  खतरा  होगी  l   लेकिन  आध्यात्मिक  प्रयोगों   से  सकारात्मक  ऊर्जा  का  संचार  होता  है   और  वे  मानव  के  लिए   सदैव  कल्याणकारी  होते  हैं  ,  हमारे  आध्यात्मिक  ऋषियों  की  वैज्ञानिक   देन   है  --- योग - विज्ञान।     महर्षि  पतंजलि  व्याकरण  शास्त्र - ध्वनिशास्त्र  में  विशेषज्ञ  होने  के  साथ   शरीर  शास्त्र व  चिकित्सा शास्त्र  में  प्रवीण  थे   इसके  अतिरिक्त  व्यवहार शास्त्र  और   मनुष्य  की  मनोदशाओं  को  सूक्ष्मता  से  समझने  के  विशेषज्ञ  थे  l   उन्होंने  अपने  गुरु  आत्रेय  पुनर्वसु  के  नाम  से  लिखे   शरीर  चिकित्सा  के  ग्रन्थ  का  संशोधन  कर  उसे ' चरक - संहिता '  नाम  दिया     अर्थात ' चरैवेति '   -- जो  गतिशील  रहता  है  , वह  नीरोगी होता  है , समृद्धि  को  प्राप्त  करता  है  l   अपने  जीवन  के  उत्तरकाल  में  उन्होंने   मन ,  वाणी  एवं  काया  के  दोषों  के  निवारण  के  लिए  योग - विज्ञान   की  रचना  की  l   इसके  लिए  उन्होंने  अपने  शिष्यों  के  साथ  अनेक  जटिल  - कठिन  प्रयोग  किए   l  प्रयोगों  ने  जिसे  प्रामाणिक  कहा  ,  वही  उनके  लिए  प्रामाणिक  था  l   उनके  द्वारा  प्रवर्तित  यह  योग  का  वैज्ञानिक  विधान  उनके  लिए  था  जो  आस्तिक  हैं ,  उनके  लिए  भी    था  जो  नास्तिक  हैं  ,  इसके  क्रियान्वयन  में    जाति , वर्ण , क्षेत्र , स्त्री - पुरुष   का  कोई  प्रतिबन्ध  नहीं  था   l   जब  यह  ग्रन्थ  पूर्ण  हो  गया   तो  उनके  शिष्यों  ने  पूछा  --- ' आचार्यवर  !   आपके  द्वारा  रचित  195   सूत्रों  में  प्रमुख  एवं  प्रधान  सूत्र  क्या  है   ? '  महर्षि  ने  कहा ---- ' वह  प्रथम  सूत्र  है  -- ' अथ   योगानुशासनम  ' --- क्योंकि  योग  विज्ञानं  उन्ही  के  लिए  है  ,  जो  योग  विज्ञानं  के   वैज्ञानिक   प्रयोगों  का  अनुशासन  स्वीकारते  हैं   l  '

WISDOM -------

   चीन  में  एक  लड़का   अपनी  दादी  के  साथ  रहता  था  l   दादी  ने  एक  बगीचा  लगा  रखा  था  l   एक  दिन  दादी  बीमार  हो   गईं   तो  उन्होंने  उसे  बगीचे  की  देखभाल  के  लिए  भेजा   l   अगले  दिन  उन्होंने  बगीचे  में  जाकर  देखा   तो  उन्हें  पता  चला  कि   उनके  पोते  ने  किसी  भी  पेड़  की  जड़  में  पानी  नहीं  डाला  l   पौधे  सूखते  हुए  दिखाई   पड़   रहे  हैं  l   उन्होंने  उसे  बुलाकर  इसका  कारण  पूछा    तो  वह  बोला  ----- " दादी  !  मैंने  हर  पौधे  की  पत्तियां  पोंछी थीं   और  उनकी  जड़ों  में  रोटी  के  टुकड़े  भी  डाले   थे   l  "  उसकी  दादी  बोलीं ---- "  बेटा  !  पेड़ों  की  जड़ों  में  रोटी  के  टुकड़े  डालने  से    और  पत्तियां  पोंछने  से    पेड़  नहीं  बढ़ते  l   तुम्हे  पेड़  की  जड़ों  में  पानी  डालना  चाहिए  था   l  "  लड़का  सोच  में  पड़   गया   l   उसने  दादी  से  पूछा  --- " दादी  !  क्या  मनुष्य  की  भी  जड़ें  होती  हैं   ? "  दादी  बोलीं  --- "  हाँ  बेटा  !  हमारे  मन  के  साहस  में  हमारी  जड़ें  होती  हैं   l   जब  इनको  रोज  पोषण  दिया  जाये   तो  हम  ताकतवर  बन  सकते  हैं  l  "  उस  लड़के  ने  फैसला  किया  कि   वह  अपने  मन  को  साहस  से  भरपूर  रखेगा   l   यही  लड़का  आगे  चलकर  चीन  का  राष्ट्राध्यक्ष    ,  माओत्से  तुंग   बना   l