12 March 2020

WISDOM ------- प्रयत्न के साथ धैर्य जरुरी है

  धीरे - धीरे  रे  मना , धीरे  सब  कुछ  होय  l   माली  सींचे  सौ   घड़ा   ऋतु   आये  फल  होय  l 
      बंदरों   का  एक  दल   आम  के  बाग   में  निवास  करता  था  l   बन्दर  जब  भी  आम  तोड़ने  का  प्रयास  करते   तो  आम  तो  कम   हाथ  लगते  , पर  बाग   के  रखवालों   के  पत्थर  ज्यादा  झेलने  पड़ते  l  तंग  आकर  बंदरों  के  सरदार  ने   एक  दिन  सभी  बंदरों  की  सभा  बुलाई   और  उसमे  घोषणा  की  कि  ' आज  से  हम  लोग   अपना  अलग  बाग  लगाएंगे   और  उसमे  आम  के  पेड़  लगाएंगे  l  इससे  रोज - रोज  के  इस  झंझट  से  तो  मुक्ति  मिले   l
  बात  बाकी   बंदरों  को  जँच   गई  l  सबने  आम  की  एक - एक  गुठली  ली   और  जमीन   में  गड्ढा  कर  के  बो  डाली  l  `प्रसन्नता  की  लहर   व्याप्त  हो  गई  कि   अब  शीघ्र  ही  हर  बन्दर   आम  के  एक  पेड़  का  स्वामी  होगा  l   पर  कुछ  ही  घंटे  गुजरे  थे  कि   बंदरों  ने   जमीन   खोदकर  गुठलियां  बाहर  निकल  लीं ,  ताकि  यह  देख  सकें  कि  गुठलियों  से  पेड़  निकला  या  नहीं   l   बात - ही - बात  में  सारा  बाग   उजड़   गया  l   दूर  से  यह  दृश्य  देखते  हुए   सन्त   ने  अपने  शिष्यों  से  कहा -----  कर्मों  का  इच्छानुसार  फल  प्राप्त  करना  हो  तो   प्रयत्न  के  अतिरिक्त   धैर्य  की  भी  आवश्यकता  होती  है   l  अधीर  मनुष्यों  का  हाल  भी   इन   मूर्ख     वानरों  के  समान   होता  है  l  '
     हर  विकास   के  लिए  एक  समय  विशेष  अनिवार्य  है  l