'सह्रदयता मानवीय गरिमा का मेरुदंड है | जिसका संबल पाकर ही व्यक्ति और समाज ऊँचे उठते हैं एवं मानवीय गुणों से भरे-पूरे बनते हैं |'
महाभारत युद्ध का प्रसंग है --युधिष्ठिर रात्रि में व्यक्तिगत उपासना हेतु वेश बदलकर
जाते थे | एक दिन भीम ,नकुल सहदेव ने उनका पीछा किया , ताकि जान सकें कि वे कहाँ जाते हैं | उन्होंने देखा कि वे युद्धस्थल की ओर जा रहें हैं | उन्होंने देखा कि वे प्रत्येक घायल के पास जाते हैं , चाहे वह कौरव पक्ष का हो या पांडव पक्ष का उसकी सेवा करते हैं , किसी के घावों पर मलहम-पट्टी की , किसी को जल पिलाया , किसी को अन्न आहार दिया , किसी को सांत्वना दी |
अब भाइयों ने पूछा --तात ! आप छिपकर यहां क्यों आये ? युधिष्ठिर बोले --" भाइयों ! यदि मैं प्रकट होकर आता तो वे अपने मन की बात मुझसे न कह पाते और मैं सेवा कार्य से वंचित रह जाता | " भीम बोले --"यह समय तो आपकी व्यक्तिगत उपासना का है ?
वे बोले --" दुखियों पीड़ितों की सेवा करना ही सच्ची उपासना है | मैंने वही किया है | " सुनकर सब नतमस्तक हो गये |
महाभारत युद्ध का प्रसंग है --युधिष्ठिर रात्रि में व्यक्तिगत उपासना हेतु वेश बदलकर
जाते थे | एक दिन भीम ,नकुल सहदेव ने उनका पीछा किया , ताकि जान सकें कि वे कहाँ जाते हैं | उन्होंने देखा कि वे युद्धस्थल की ओर जा रहें हैं | उन्होंने देखा कि वे प्रत्येक घायल के पास जाते हैं , चाहे वह कौरव पक्ष का हो या पांडव पक्ष का उसकी सेवा करते हैं , किसी के घावों पर मलहम-पट्टी की , किसी को जल पिलाया , किसी को अन्न आहार दिया , किसी को सांत्वना दी |
अब भाइयों ने पूछा --तात ! आप छिपकर यहां क्यों आये ? युधिष्ठिर बोले --" भाइयों ! यदि मैं प्रकट होकर आता तो वे अपने मन की बात मुझसे न कह पाते और मैं सेवा कार्य से वंचित रह जाता | " भीम बोले --"यह समय तो आपकी व्यक्तिगत उपासना का है ?
वे बोले --" दुखियों पीड़ितों की सेवा करना ही सच्ची उपासना है | मैंने वही किया है | " सुनकर सब नतमस्तक हो गये |