24 August 2021

WISDOM --------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " युवावस्था  जीवन  का  बसंत  है  l  इसका  सदुपयोग  करने  पर  व्यक्ति  बहुत  कुछ  कर  जाता  है  l   इस  काल  में  पर्वतों  का  स्थान  बदलने  और  नदी  की  राह  मोड़ने  जैसे   असंभव  कार्य  संभव  बनाये  जा  सकते  हैं   l  "   आचार्य श्री  लिखते  हैं ----- "  बलवान  और  शक्तिशाली  व्यक्ति   यदि  संस्कारवान   भी  होगा   तो  अनीति  और  अन्याय  की  घटनाएं  सुनकर   उसका  खून  खौल   ही  उठेगा   l व्यक्ति  अपनी  शक्ति  और  सामर्थ्य  पर  अंकुश  रखे  l   उसे  सन्मार्गगामी  बनाए  l   पतन  की  राह  पर  न  चलने  दे   l   यदि  कोई  इस  प्रकार  के  मार्ग  पर  चल  पड़ा  है  तो  प्रत्येक  व्यक्ति  का  कर्तव्य  है   कि   अपनी  शक्ति  और  सामर्थ्य   बढ़ाकर   उसे  दंड  दे  ,  ताकि    भविष्य  में  कोई  इस  प्रकार  का  दुस्साहस  न  करे  ,  समाज  में  अन्ध   व्यवस्था  न  फैलाए  l