11 October 2019

WISDOM ----- गिद्ध वृति कभी सुखी नहीं रह सकती

     पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  कहते  थे  ---- ' जितने  अधिक  का  लालच  ,  उतना  ही  अधिक  दुःख  ,  उतनी  ही  पीड़ा  ,  उतनी  ही  परेशानी  l ' इसलिए  उपनिषद  में कहा  गया  है ---- लालच  मत  करो   !  
  लालच  केवल  धन  का  या  वस्तुओं  का  ही  नहीं  होता  ,  मान ,  यश - प्रतिष्ठा ,  सत्ता ,  पद   सब  का  लालच  होता  ही  l   लालच  इस  कदर  बढ़  जाता  है  कि  व्यक्ति   दूसरे  के  सोच  व  स्वाभिमान  पर  भी  कब्ज़ा   जमा  कर   सबको  अपने  इशारे  पर  चलाना  चाहता  है   l यह  सब  पाने  के  बाद  व्यक्ति  को  उसका  खोने  का  भय  सताता  है  l  इसलिए  जिसकी    चाहतें    बड़ी  हुई  हैं  वह  कभी  शांत  नहीं  रह  पाता   l   अपने  सुख  को  बचाए  रखने  के  लिए   व्यक्ति  छल - कपट  और  षड्यंत्र  करता  है   और  अपनी  असीमित  इच्छाओं  को  पूरा  करने  के  लिए  वह  दूसरों  का  भी  हक  छीनता  है  l  यही  गिद्ध - वृति है   l
  आचार्य  श्री  अपनी  आँखों  देखी  एक  घटना  सुनाते  थे  -----   वे  किसी  ग्रामीण  क्षेत्र  से  पैदल  आ  रहे  थे   l  पास  के  बंजर  मैदान  में  किसी  जानवर  का  मृत  शरीर  पड़ा  था  ,  उसके  आसपास  गिद्धों  का  झुरमुट  था  जो  उसका  मांस  नोचने  में  लगे  थे  l  आपस  में  छीना - झपटी  थी   l  एक  गिद्ध  बड़ा  सा मांस  का  टुकड़ा  लेकर  भागा,  थोड़ी  ही  दूर  जा  पाया  कि  गिद्धों  की  फौज  उसके  पीछे   पड़   गई  l  उन  गिद्धों  में  कुछ  ताकतवर  भी  थे   जो  उसके   इर्द - गिर्द  व्यूह  रचना  करते  रहे   l
इस  दौड़ - भाग  में  उस  अकेले  पड़े  गिद्ध  से  मांस  का  टुकड़ा  छूट  गया    जिसे  दूसरे  गिद्ध  ने  उठा  लिया  l  अब  वे  सारे  गिद्ध  पहले  वाले  को  छोड़कर  दूसरे  के  पीछे  पड़  गए  l   पहले  वाला गिद्ध  अब  आश्वस्त  था  , शायद  समझ  गया  था  कि  सुख  संतोष  में  है  l  '
मनुष्य  की  इसी  गिद्ध वृति  के  कारण    संसार  में  अशांति  है   l