10 June 2023

WISDOM--------

 पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- "मन  को  कुविचारों  और  दुर्भावनाओं   से  बचाए  रखने  के  लिए   स्वाध्याय  और  सत्संग    अनिवार्य  है  l  संग  का  प्रभाव  इतना  गहरा  होता  है  कि  जिससे  जीवन  की  दिशा धारा  ही  परिवर्तित  हो  जाती  है  l " तुलसीदास जी  लिखते  हैं --- सत्संग  के  बिना  विवेक  जाग्रत  नहीं  होता   और  राम कृपा  के  बिना  यह  सत्संग  सहज  में  नहीं  मिलता  l '  आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- 'क्रोध , अहंकार  और  कुसंग    ऐसे  महाविष  हैं  , जो  पवित्र  दिव्य  प्रेम  पर  भी  ग्रहण  लगा  देते  हैं  l  "     महारानी  कैकेयी  को  मंथरा  जैसी  दासी  का  कुसंग  मिला  l  महारानी  कैकेयी  अपनी  प्रकृति  से  अभिमानी  और  अहंकारी  थीं  ,  फिर  मंथरा  जैसी  दासी  के  कुसंग  ने   उनके  अहंकार  और  क्रोध  को  इतना  उभार  दिया  कि  वे  राजा  दशरथ  से  अपने  प्रिय  पुत्र   राम  के  लिए  चौदह  वर्ष  का  वनवास  मांगने  लगीं  l  कैकेयी  भरत  से  भी  अधिक  राम  के  प्रति  स्नेह  रखतीं  थीं  लेकिन  कुसंग  का  ऐसा  असर  हुआ   कि  वे  भरत  के  लिए  राजसिंहासन  और  राम  के  लिए  वनवास  मांग  बैठीं  l   इसी  कारण  कहते  हैं  कि  व्यक्ति  योगियों  के  साथ  रहकर  योगी  और  भोगियों  के  साथ  रहकर  भोगी  बन  जाता  है  l  नारद जी  का  सत्संग  पाकर  वाल्मीकि  --- महर्षि  कहलाए   l  भगवान  बुद्ध  का  सत्संग  पाकर  अंगुलिमाल  डाकू  से  भिक्षु  बन  गया  l