11 July 2018

लोक प्रतिष्ठा से परे ---- भाई जी श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार

 बात  उन  दिनों  की  है   जब  गीता  प्रेस  गोरखपुर  के  संस्थापक   भाई जी  श्री  हनुमानप्रसाद  पोद्दार  का  नाम  ' भारत  रत्न '  के  लिए  चुना  गया  l यह  बात  उन  तक  पहुंची  तो  उन्होंने  तत्कालीन  गृहमंत्री  पं. गोविन्द वल्लभ  पन्त  से  कहा  ---     " हम  इस  योग्य  नहीं  हैं  l   देश  बड़ा  है , कई  सुयोग्य  व्यक्ति  होंगे  l  हमने  अगर  कुछ  किया  भी  है  तो  पुरस्कार  की  आशा  से   नहीं  किया  l  आप  किसी  और  को  दे,  दें  l  "
  नेहरु  जी  को  पता  चला  तो  उन्होंने  पन्त जी  से  कहा  --- " जाओ  और  मिलो  l  आदर - सत्कार  से  बात  करो  l  कोई  बात  हो  सकती  है  ,  पता  लगाओ  l  " 
  पन्त जी ने  जाकर  बात  की  तो  पुन:  भाई  जी  बोले  ---- "  हम  स्वयं  को  इस  लायक  मानते    ही  नहीं  l  हमने    भक्तिभाव  से   परमात्मा  की  आराधना  मानकर    ही  सब  कुछ  किया  l  "
 ऐसा  ही  हुआ , सरकार  को  अपना  इरादा बदलना  पड़ा   l   भाई जी  को  दैवी  सत्ताओं  का  अनुग्रह  सहज  ही  प्राप्त  था  ,  फिर  उन्हें  लोक  सम्मान  क्या  प्रभावित  करता  ?