17 May 2018

राजा महेंद्र प्रताप --- ' प्रेम - धर्म के प्रचारक और अनुयायी '

   राजा  महेंद्र  प्रताप  ने   1916  में   ' प्रेम  धर्म  '  पर  एक  पुस्तक  लिखी  थी   जिसमे  उन्होंने  राजनीति  पर  भी  अपने  विचार  दिए   l  उन्ही  के  शब्दों  में ---- "  सरकार  चाहे  छोटी  हो  या  बड़ी  उसे  अपने  क्षेत्र  में  शान्ति  बनाये  रखनी  चाहिए  l  पर  इसके  विपरीत  इस  जमाने  की  सरकारें   शांति  को  सबसे  अधिक  भंग  करने  वाली  हैं  l   वे  बड़े  चोरों  और  डाकुओं  की  तरह  काम  करती  हैं   और  पड़ोसियों  के  क्षेत्र  में  जबरदस्ती  घुसने    प्रयास  करती  हैं  l  "  राजा  महेंद्र  प्रताप  ने  आगे  लिखा  है ---- " मेरे  ख्याल  से  इसका  कारण  यह  है    कि   सार्वजनिक  शिक्षा    प्रणाली  की  खराबी  से  बहुत   सी  दूषित  मनोवृति  के  व्यक्ति  शासन  के   सर्वोच्च   पदों  तक  पहुँच  जाते  हैं   और  अपनी  शक्ति  का  दुरूपयोग  करते  हैं  l  वे  राष्ट्र  के  कर्णधार  संचालक  बनकर   अपने  समस्त  अनुयायिओं  को  लुटेरों  के  एक  दल  की   तरह  बना  देते  हैं   कि l  मेरा  मत  है   कि  सबसे  पहले  तो  हम   सर्वोत्कृष्ट  व्यक्तियों  को  ही   शासनकर्ता    और  राजनीतिक  कार्यकर्ता  के  पद  पर  नियुक्त  करें  l  वे  न  तो  धन  इकठ्ठा  करें  ,  न  जायदाद  रखें   l  उनका  एकमात्र  उद्देश्य   मानव जाति  की  सेवा  करना  ही  हो   l  वे  सदैव  मानव  जाति  को  सुखी  बनाने    प्रयत्न  करते
  रहें  l   "   उनका  विचार  था  कि  जिन  व्यक्तियों  को  प्रकृति    की  तरफ  से   या  सामाजिक  प्रयत्नों   से   श्रेष्ठ    शक्तियां  प्राप्त  हुई  हैं  ,  उनका  कर्तव्य  है  कि  वे  मनुष्य  जाति  की  भलाई  के  लिए  विशेष  रूप  से  सेवा  कार्य  करें   l