23 January 2020

WISDOM ------

  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने   एक  प्रसंग  में   वाङ्मय  में  लिखा  है  ----- '  अपनी  हीन   तथा  निम्न  वृत्तियों  को  संतुष्ट  करने  के  लिए   लोग  प्राय:  अहंकार   का  पालन  किया  करते  हैं  l   वे  मद  में  इतने  मत्त   हो  जाते  हैं  कि  इस  बात  का  विचार  ही  नहीं  करते  कि   उनके  अहंकार  के  नीचे  दबकर    कितने  निरपराध  तथा  असहाय  लोगों  का  बलिदान  हो  रहा  है  ?   किसी  का  भी  त्याग  और  बलिदान  व्यर्थ  नहीं  जाता   l   कम    समझ  लोग  चाहे  उसके  प्रभाव  को  अनुभव  न  कर  सकें   और  अदूरदर्शी  भी   तुरंत  उसका   कोई  परिणाम   न  देखकर   उसे  व्यर्थ  बताने  लगें   l   पर  तत्ववेत्ता   इस  बात  को  अच्छी  तरह  जानते  हैं  कि    इस  जगत  में  छोटे  से  छोटे  काम  की  भी  प्रतिक्रिया  अवश्य  होती  है   l