4 March 2021

WISDOM -------

  महात्मा  गाँधी  के  विचारों  की  आज  संसार  को  सबसे  ज्यादा   जरुरत  है   l   उन्होंने  जो  कुछ  सिखाया  अपने  आचरण  से  सिखाया  l   धन  का  लालच  छोड़कर   ,  अपनी  असीम  आवश्यकताओं   को    नियंत्रित     कर  ही  व्यक्ति  स्वाभिमान  से  और  निर्भय  होकर    जीवन  जी  सकता  है  l    ---   धार्मिक - आध्यात्मिक  पत्रिका            ' कल्याण  '  के  प्रथम  अंक  में   अन्य  लेखकों   के  साथ   राष्ट्रपिता   महात्मा  गाँधी  का   भी   लेख  छपा   था  l   जब  प्रति   लेकर   ' भाई  जी  श्री  हनुमान  प्रसाद  पोद्दार    गाँधी  जी  के  पास  गए  ,  तब   उन्होंने   कहा  ----- "  दो   बातों  का  ध्यान   रखना ,  पहली  बात --- कल्याण   में कोई  विज्ञापन   मत  छापना  l  दूसरी  बात ---किसी   और       लेखक  की   पुस्तक  की  समीक्षा   अपनी   पत्रिका    में  मत  छापना  l  "  अपनी   इन  बातों  को  स्पष्ट   करते  हुए   गाँधी जी  ने  उनसे  कहा  ---  "  जो  विज्ञापन  देंगे  ,  वे    अपनी  बात  भी  मनवाएंगे  ,  यह  पत्रिका  की    आध्यात्मिक  भावना  के  लिए    ठीक  नहीं  रहेगा   l   रही  बात  पुस्तक  की  समीक्षा  की   ,  तो  इससे   व्यर्थ   ही    किसी  न  किसी  विद्वान्  की   नाराजगी   सहनी   पड़ेगी   l  "    महात्मा  गाँधी  की   ये  दोनों  बातें    हनुमान  प्रसाद  पोद्दार  जी  ने   और  कल्याण  ने  यथावत  मानी   l 


 में  

WISDOM ------ दरिद्र कौन ?

    एक  संत  भ्रमण  पर  निकले   हुए  थे  l   उन्हें  मार्ग  में  एक  राजा  मिला  ,  जो  पड़ौसी  राज्य  पर  हमला  करने   के  लिए  निकला  था   l   संत  को  देखकर  उसने  प्रणाम  किया   और  बोला ---- " महाराज  !  मैं  चक्रवर्ती  सम्राट  हूँ   l   मेरे  पास  अपार  धन - दौलत  है   और  आज  मैं  उसे   और  बढ़ाने  के  लिए   दूसरे  राज्य  पर  आक्रमण  करने  निकला  हूँ   l   आप  मुझे  आशीर्वाद  दें   l  "  संत  धीरे  से  हँसे   और  उसके  हाथ  पर  एक  रूपये  का  सिक्का  रख  दिया   l   राजा  को  आश्चर्य  हुआ  l   वह  बोला  ---- " महाराज  !  आपने  शायद  सुना  नहीं   कि   मैं  बड़ा  धनवान  हूँ   ,  मुझे  इस  एक  रूपये  की  आवश्यकता  नहीं   l  "  संत  बोले ---- " बेटा   !  यही  सुनकर   मैंने  ये  रुपया   तुझे  दिया   l   मुझे  ये  मुद्रा  पड़ी  मिली  थी   और  मैंने  सोचा   था   कि  इसे  सबसे  दरिद्र  व्यक्ति  को  दूंगा   l   आज  तुझसे  मिलकर   मुझे  लगा  कि   सबसे  दरिद्र   यदि  कोई  है  ,  तो  वो  तू  ही  है   ,  जो  अपार  धन - संपदा   होते  हुए  भी  दूसरों  का  घर  लूटने  चला  है   l  '  संत  की  बात  सुनते  ही  राजा  का  सिर   शरम   से  झुक  गया   और  उसने  जीवन  की  राह  बदलने  का  संकल्प  किया     l   लालच  और  महत्वाकांक्षा  पर  नियंत्रण  जरुरी  है  l