प्राचीन समय में मनुष्य विज्ञान के अविष्कार सृजन के लिए करते थे , विध्वंस के लिए नहीं l उस समय की विशेषता थी कि गुरु विद्दा देते समय वचन लेते थे कि इनका दुरूपयोग मत करना l महाभारत में ' पाशुपत अस्त्र ' का वर्णन आता है l अर्जुन ने शिवजी की तपस्या कर यह अस्त्र प्राप्त किया , भगवान शिव ने चलाने और लौटाने की विधि भी सिखाई , और साथ ही यह आदेश भी दिया था कि इस अस्त्र को केवल राक्षस या राक्षस वृत्ति वाले लोगों पर ही चलाना अन्यथा यह तुम्हारा ही विनाश करेगा l इसी प्रकार ' नारायण अस्त्र ' द्रोणाचार्य के पास था l इस हथियार के चलते ही सब शस्त्र व्यर्थ हो जाते थे l जब आचार्य द्रोण ने यह अस्त्र चलाया तो भगवन कृष्ण ने कहा --- " तुम सब अपने हथियार फेंककर सिर झुका दो , यही इस अस्त्र से बचने का उपाय है l "
भारतीय योगी और सिद्ध संत अपनी आत्मशक्ति और क्षमताओं का प्रयोग चमत्कार दिखाने और दूसरों का अहित करने में नहीं करते थे , वे ब्रह्मास्त्र आदि को मन्त्र शक्ति से छोड़ना और वापिस बुलाना भी जानते थे l लेकिन आज मनुष्य के लिए अपनी स्वार्थपूर्ति ही सब कुछ है l अब मनुष्य की इन प्रकृतिदत्त क्षमताओं का उपयोग संपन्न राष्ट्र शत्रु पक्ष का विनाश करने के लिए और संसार के लोगों के ' माइंड ' पर नियंत्रण करने के लिए करते हैं l
शत्रु अदृश्य हो तो प्रतिपक्षी के समस्त युद्ध आयुध , बम और रणनीति विफल हो जाती है और आक्रमणकारी अपना प्रभुत्व ज़माने के साथ - साथ लोगों के मन पर , उनके व्यक्तिगत जीवन के क्रियाकलाप पर भी नियंत्रण करने में सफल हो जाता है l विज्ञानं ने मानव को सब भौतिक सुख - सुविधाएँ तो दीं पर साथ ही यह रिफाइंड गुलामी भी दे दी l
भारतीय योगी और सिद्ध संत अपनी आत्मशक्ति और क्षमताओं का प्रयोग चमत्कार दिखाने और दूसरों का अहित करने में नहीं करते थे , वे ब्रह्मास्त्र आदि को मन्त्र शक्ति से छोड़ना और वापिस बुलाना भी जानते थे l लेकिन आज मनुष्य के लिए अपनी स्वार्थपूर्ति ही सब कुछ है l अब मनुष्य की इन प्रकृतिदत्त क्षमताओं का उपयोग संपन्न राष्ट्र शत्रु पक्ष का विनाश करने के लिए और संसार के लोगों के ' माइंड ' पर नियंत्रण करने के लिए करते हैं l
शत्रु अदृश्य हो तो प्रतिपक्षी के समस्त युद्ध आयुध , बम और रणनीति विफल हो जाती है और आक्रमणकारी अपना प्रभुत्व ज़माने के साथ - साथ लोगों के मन पर , उनके व्यक्तिगत जीवन के क्रियाकलाप पर भी नियंत्रण करने में सफल हो जाता है l विज्ञानं ने मानव को सब भौतिक सुख - सुविधाएँ तो दीं पर साथ ही यह रिफाइंड गुलामी भी दे दी l