10 April 2023

WISDOM ----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----" इस  समय  का  सबसे  बड़ा  दुर्भाग्य  यह  है  कि   इस  समय  सभी  वर्णों  ने  अपनी -अपनी  गरिमा  को  भुला  दिया  है  l  इस  समय  केवल  एक  ही  वर्ण  रह  गया  है   वह  है  ---व्यापारी  l   केवल  एक  ही  बात  सबके  दिमाग  में  आती  है   कि  पैसा  कैसे  कमाया   जा  सकता  है  ?  डॉक्टर , इंजीनियर , कलाकार , शिक्षक , जन-प्रतिनिधि   आदि  सब  अपना  कर्तव्य  भूलकर   केवल  धन  के  पीछे  लगे  हैं  l  आजकल  सारा  व्यवहार  पैसे  से  ही  चल  रहा  है  l  "        ऐसी  विचारधारा  का  सबसे  बड़ा  नुकसान  यह  हुआ  है  कि  व्यक्ति  हो  या  राष्ट्र  सब  कर्ज  में  लद  गए  हैं   और  इस  कर्ज  ने , उधारी  ने  सबका  सुख -चैन  छीन  लिया  है  l  इसका  कारण  यही  है  कि  व्यक्ति  अध्यात्म  से  दूर  है  और  भौतिक  सुख -सुविधाओं  के  पीछे  भाग  रहा  है   और  तृष्णा  का  कोई  अंत  नहीं  है   इसलिए  समस्याओं  का  और  तनाव  का  भी  अंत  नहीं  है  l   आज  व्यक्ति  धार्मिक  होने  का  ढोंग  तो  बहुत  करता  है  लेकिन  ईश्वर  के  बताए  मार्ग  पर  नहीं  चलता   l  श्री  हनुमान जी  का  चरित्र  हमें  हमें  प्रेरणा  देता  है  ------ श्री  हनुमान जी  के  संबंध  में   भगवान  राम  ने  कहा  था  कि   समाज  के  सभी  वर्णों ---ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य  और  शूद्र  चारों  का  रूप  हनुमान जी  में  दिखाई  देता  है   अर्थात  हनुमान जी  सभी  के  हैं  l  श्री  हनुमान जी  ने  प्रभु  श्रीराम  से  स्वयं  यह  जानना  चाहा  कि  ' आपने  मुझे  ब्राह्मण  भी  कहा , क्षत्रिय  भी  कहा   लेकिन  वैश्य  क्यों  कहा  ?  आपको  मुझमें  ऐसे  क्या   वणिक   गुण  दिखाई  पड़े  ?  "      तब  श्रीराम  जी  ने  उनसे  कहा --- " प्रिय  हनुमान  ! वैश्य  दूसरों  पर  कर्जा  चढ़ा  देता  है  ,  तुमने   मेरी  इतनी  सेवा  कर  दी  है   कि    इसे  चुकाना  मेरे  लिए  आसान  बात  नहीं   l  "  इसका  अभिप्राय  यही  है  कि   अपनी  असीमित  इच्छाओं  के  कारण   किसी  व्यक्ति  या  राष्ट्र   के  ऋणी   होकर , उनके  आगे  सिर  झुका  कर  चलने  से  तो  बेहतर  है  कि  अपनी  आवश्यकताओं  को   सीमित  करे   और  सत्कर्म  करे ,  सन्मार्ग  पर  चले  ताकि  दैवी  शक्तियां  भी   हमें  अनुदान  देने  को  विवश  हो  जाएँ   जैसे  हनुमान जी  ने  निष्काम  सेवा  से  भगवान  को  भी  ऋणी  बना  दिया  l