26 November 2019

WISDOM ------ गौ माता कामधेनु

  गौ  सेवा  के  अग्रणी  सेठ  जमनालाल  बजाज   वृंदावन  गए  थे  ,  वहां  उन्हें  जो  अनुभूति  हुई   उससे  वे  सोचने  लगे  कि   भारतीय  संस्कृति  में  गौ  को  माँ  कहकर  पूजनीय  माना  जाता  है   लेकिन  उसे  घरों  में  बांधकर  चारा - पानी  के  लिए  तरसाने   वाले  कम   नहीं  है  ,  दूध  की  आखिरी  बूंद   तक  दुहकर   बछड़े  को   भूख  से  तड़पता  छोड़ने  वाले    भी  गाय  को  माता  कहते  हैं  l 
     एक  वृद्ध  खानसामा   उन्हें   बताया  कि  ---' एक  अमेरिकन  पशु  विशेषज्ञ     मि. ह्यूमैन    भारत  आये  थे   l  गायों  की  नस्ल  सुधारने  के  लिए  उन्होंने  कई  देशों    का  भ्रमण  किया   l   संस्कृत  का  अध्ययन  किया  l    उनका  कहना  था   कि    पुस्तकों  में  गाय  को  कामधेनु  कहा  गया  है   l   उन्हें  इस  बात  की  धुन  लगी  थी  कि   मैं  संस्कृत  की  इन  पुस्तकों  में  लिखे   एक - एक   शब्द  का  प्रयोग  करूँगा  l   हमारे  पवित्र  ग्रंथों  में  गाय  की  जो  महिमा  है  ,  उसकी  सच्चाई  जानने  की  उन्हें  ललक  थी  l
  उन्होंने  आगरा  से  पंद्रह  मील   दूर  एक  ढाक   का  जंगल  खरीद  लिया   और  वही  अपना  छोटा  सा   बंगला    बना  लिया   l   उस  बंगले  पर  ह्यूमन  साहब ,  वह  खानसामा ,  कपिला  गाय  और  उसकी  बछड़ी  रहते  थे   l
ह्यूमैन   साहब  ने  अपने  जीवन , रहन - सहन  सबमें  परिवर्तन  कर  लिया  ,  चाय  भी  छोड़  दी  l   गाय  के  ऊपर  मक्खी - मच्छर  उड़ाते ,  शाम  से  गाय  के  पास  दीपक  जलाते  जो  रात  भर  जलता ,  वहीँ  चटाई  बिछाकर  सोते  ,  बहुत  सेवा  करते   l   वह  खानसामा  दोपहर  को  जंगल  में  खाना  दे  आता  l   छह  महीने  बीत  गए  l   एक  दिन  उसने  सोचा  कि   देखें  यह  साहब  जंगल  में  क्या  करते  हैं  l   वह  एक  झाड़ी   में  छुप  गया  l   और  जो  दृश्य  देखा   तो  चीख  कर  बेहोश  हो  गया  --- गाय  ढाक   के  पेड़  के  नीचे  बैठी  थी  ,  बछड़ी  पास  में  फुदक  रही  थी  ,  साहब  घुटनों  के  बल  बैठे   हाथ  जोड़   प्रार्थना  कर  रहे  थे  ,  उनकी  आँखों  से  निरंतर  आंसू   झर    रहे  थे    और  आश्चर्य  !  वह  गाय  साफ   अंग्रेजी  बोल  रही  थी  l
 यह  अनुभूति  बताते  हुए  उसकी  आँखें  भर  आईं   l
उसने  बताया  कि   ह्यूमन  साहब  तो  अब  नहीं  रहे  ,  सामने  जो  गाय  है  वह  उसी  कपिला  गाय  कामधेनु  की  बछड़ी  है  l    उसने  उन्हें  ढाक   के  पत्ते  से  दोना  बनाकर  दिया  और  कहा  कि   गाय  के  थन   के  पास  बैठ  जाओ  l   गाय  से  कहा --- ' अम्मा , मेहमान  आये  हैं  अपने  घर  l '  और  आश्चर्य  !  गाय  के  चारों  थनों   से  दूध  की  धारा  बहने  लगी  ,  ऐसा  स्वादिष्ट  दूध  उन्होंने  पहले  कभी  नहीं  पिया  था  l
वृंदावन  की  इस  अनुभूति  ने  जमनालाल जी  के  जीवन  में  चमत्कारी  परिवर्तन  किये  l   अक्टूबर  1 9 4 1   में  उन्होंने  वर्धा  में  गौ  सेवा  संघ  की  स्थापना  की   l   नाम  और  यश  से  दूर  गौ -पुरी   में  निवास  किया  l   श्रद्धा  और  विश्वास  से   , सत्य  के  अन्वेषक  के  लिए   सब  कुछ  संभव  है  l