1 January 2021

WISDOM ------ चाणक्य चंद्रगुप्त संवाद

    चाणक्य  चन्द्रगुप्त  संवाद  में    चन्द्रगुप्त  द्वारा   जबरन  एक  किसान  के  खेत  से  फसल  उठा  लेने   एवं   सेना  हेतु  व्यवस्था  की  चर्चा  आती  है  l   चाणक्य  पूछते  हैं --- क्या  इसका  मूल्य  चुकाया  गया  ?  चन्द्रगुप्त  कहते  हैं  --- वे  इसका  मूल्य    चुका    देंगे   l    फिर  आचार्य  चाणक्य  कहते  हैं ---- हर  वस्तु   का  मूल्य  है  l   जिसका  भी  मूल्य  है  ,  वह  अर्थ  है  l   अर्थ  व्यवहार  धर्मपूर्वक  होना  चाहिए  l   बिना  मूल्य  दिए  दूसरे  का  द्रव्य  लेना  ---- एक  प्रकार  से  अपहरण  है  ,  अपने  नाश  को  आमंत्रण  है   l     मगध  सम्राट  चन्द्रगुप्त  बड़ी  दुविधा  में  पड़   जाते  हैं   l   एक  ओर   आचार्य  द्वारा  लगाई   गई  लताड़    और  दूसरी  ओर   एक  खबर  कि    चुने  हुए  उच्च  वर्ग  द्वारा   कर  न  चुकाने  पर  श्रेष्ठी  जनों  को   दण्डित  किया  जा  रहा  है  ,  वह  भी  आचार्य  के  निर्देश  पर  l   पुन:  चन्द्रगुप्त  जब  आचार्य  से  रूबरू  होते  हैं  ,  तो  पूछते  हैं   कि   समाज  को  धन  देने  वाले   श्रीमंत  वर्ग  का  अपमान  क्यों  किया  जा  रहा  है   ?    तब  आचार्य  कहते  हैं ----  उनके  लिए   व्यक्ति  नहीं  ,  देश  महान  है   l   उनकी  निष्ठा   समाज   के उत्कर्ष  में  है    न  कि   चन्द्रगुप्त  या   उन्हें  धन  देने  वाले   श्रेष्ठिवर्ग  में   l   वे  कार्पोरेट    सोशल जिम्मेदारी  का  चिंतन  करते   हैं  l   कर  व  दान  ही  किसी  राज्य  का  आधार  होते  हैं  ,  दान  से  ही  समाज  चलता  है  l  यह  व्यवस्था  टूट  गई  तो  अनर्थ  ही  अनर्थ  हो  जायेगा  l  इसलिए  राजा  कर  लेता  है  और  समाज   दान  देता  है  l    अपरिग्रही  ब्राह्मण   चाणक्य  से  पूछते  हैं   कि   मैं  उन  व्यापारियों  का  सम्मान  कैसे  करूँ   ?  चाणक्य  कहते  हैं   जब तक  राज्य  में   एक  भी  व्यक्ति  भूखा  है  ,  सम्राट  कैसे  सुखी  हो  सकता  है  l   प्रजा  के  हित    में  ही  राजा  का  सुख - हित    है  l   प्रजा    को  सुखी  बनाना  राजा  का  पहला  कर्तव्य  है  l   आज  देश  को  विष्णुगुप्त  की  जरुरत  है    ताकि  सच्चा  सुख  प्रजा  को  भी  मिले  और  शासन  के  अधिकारियों   को  भी  सच्चा  सुख  मिले  l