30 July 2020

WISDOM -----

  कहते  हैं  सत्ता  का  नशा  संसार  की  सौ   मदिराओं  से  भी  बढ़कर  है  l  कोई  भी  व्यक्ति  जो  चाहे  किसी  छोटी  सी  संस्था  में  अपनी  हुकूमत  चलाता   हो  ,  या  बड़ी  से  बड़ी  व्यवस्था  की  हुकूमत  करता  हो  ,  वह  अपनी  उस  प्राप्त  शक्ति  को  खोना  नहीं  चाहता  l   इसका  सबसे  बड़ा  कारण  है  भय  l   सत्ता  के  नशे  में  किए   गए  गलत  कार्यों  के  परिणाम   से  व्यक्ति  भयभीत   रहता  है  l   इसलिए   वह  सत्ता  में  बने  रहने  का  हर  संभव  प्रयास  करता  है   l   इसी  सत्य  को  बताती  हुई  एक  कथा  है  ------    युगों  पहले  की  बात  है  ,  गणतंत्र  था ,  अनेक  स्वतंत्र  राज्य  थे  ,  अच्छी  शासन  व्यवस्था  थी  l   जनता  के  चुने  हुए  प्रतिनिधि  थे  l   सत्ता में  रहते - रहते  उन्हें  उसकी  आदत  हो  गई  ,  अहंकार  आ  गया ,  अत्याचार , अन्याय  बढ़ा    और  प्रजा  भी  नाखुश  रहने  लगी  l   विभिन्न  स्वतंत्र  राज्यों  के  मुखिया  आपस  में  मिलते  थे   और  बड़े  चिंतित  थे  ,  चाहते  थे  कि   जब  तक  उनका  जीवन  है  वे  अपने  पद  पर  बने  रहें  l   वैसे  सब  स्वतंत्र  राज्यों  की  अपनी  नीति   थी  लेकिन   अपने  स्वार्थ , लोभ - लालच  के  वशीभूत  होकर   सबने  मंत्रणा    कर   अपने- अपने    राज्य  में  लोगों   के  मिलने - जुलने , संगठित   होने  पर    प्रतिबन्ध   लगा  दिए  ,  विभिन्न  तरीकों  से  प्रजा  को  भयभीत  कर  दिया  ,  जिससे  विरोध  करने  की  उनकी  शक्ति  ही  न  रहे  l   सत्ताधारियों   ने  अपनी  ताकत  से,  चालाकी  से    युवाओं  को  अपने  नियंत्रण  में  कर  लिया  ,  अब  वे  बच्चों  से  भयभीत  होने  लगे  कि   कहीं  ये  बड़े  होकर  उनके   लिए  खतरा  न  बन  जाएँ  l   इसके  लिए  उन्होंने  विभिन्न  उचित - अनुचित  तरीके  अपनाये  कि   बच्चे  मानसिक  रूप  से  कमजोर  हों , बीमारियों  से  ग्रसित  हों  l  बच्चों  का  शोषण  करने  लगे  l
कहते  हैं   संसार  में  एक  शक्ति  है    जो  अति  को  बर्दाश्त   नहीं  करती  l    बच्चों  पर  अत्याचार  प्रकृति  से  सहन  नहीं  हुआ  ,  धरती  कांपने  लगी  और  तीव्र  भूकंप  से   वे  सब  राज्य  धरती  में  समां  गए  l   उनका  नामोनिशान  मिट  गया  ```````