विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च रक्तचाप के रोगियों को किसी के प्रति वैरभाव नहीं रखना चाहिए और क्रोध करने से बचना चाहिए l जिस तरह पानी को जब गर्म किया जाता है तो थोड़ी देर में वह तेज गर्म होकर उबलने लगता है और भाप में बदलता जाता है , ठीक इसी तरह व्यक्ति क्रोध में गरम होकर उबलता है और व्यक्ति की ऊर्जा भी क्रोध के समय सर्वाधिक मात्र में व्यय होती है l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- 'क्रोध का पहला प्रहार विवेक पर और दूसरा प्रहार होश पर होता है l इसलिए कठिन कार्यों , संकट के समय और अपमान होने पर धैर्य धारण करने की सलाह दी जाती है l जो व्यक्ति अहंकारी होता है वह अधिक क्रोध करता है क्योंकि वह स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ साबित करना चाहता है जबकि यह उसकी नासमझी है l चिकित्सकों के अनुसार कैंसर , उच्च रक्तचाप , सिर दरद और मानसिक रोगों की मुख्य वजह क्रोध ही है इसलिए सर्वप्रथम अपने क्रोध पर नियंत्रण करना चाहिए l