11 July 2023

WISDOM -----

   ऋषियों  का  वचन  है  कि  --- दुष्ट  लोगों  का  साथ  हमेशा  दुःख  देने  वाला  होता  है  l  दुष्ट  लोगों  का  कभी  कोई  एहसान  न  ले  और  उनकी   संगत  से  हमेशा  दूर  रहे  l  '    दुष्ट  की   संगत  यदि  हम  छोड़  भी  दें  ,  तो  वे  अपनी  दुष्टता  के  कारण  हमारा  पीछा  नहीं  छोड़ते   क्योंकि  दूसरों  को  कष्ट  पहुँचाना  ही  उनका  स्वभाव  होता  है  l ---- हकीम  लुकमान  ने  अपने  अंतिम  समय  में   अपने  बेटे  को   जीवनोपयोगी  शिक्षा  देने  के  लिए   उसे   एक  कोयला  और  एक  चन्दन  का  टुकड़ा  लाने  के  लिए  कहा  l  वह  दोनों  को  लेकर  पिता  के  पास  पहुंचा  l  पिता  ने  दोनों  को  नीचे  फेंक  देने  के  लिए  कहा  l  बेटे  ने  उन्हें  नीचे  फेंक  दिया   तो  लुकमान  ने   बेटे  से  हाथ  दिखाने  के  लिए  कहा  l  फिर  वह  उसका  कोयले  वाला  हाथ  पकड़  कर   बोले ---- "बेटा  !  देखा  तुमने  l  कोयला  पकड़ते  ही  हाथ  काला  हो  गया  l  उसे  फेंक  देने  के  बाद  भी  हाथ  में  कालिख  लगी  रह  गई  l  गलत  लोगों  की  संगति  ऐसी  ही  दुःखदाई   होती  है  l  दूसरी  ओर  सज्जनों  का  संग    इस  चन्दन  की  लकड़ी  की  तरह  है  ---- जो  साथ  रहते  हैं  तो  दुनुया  भर  का  ज्ञान  मिलता  है   और  उनका  साथ  छूटने  पर  भी   उनके  विचारों  की  महक  जीवन  भर  साथ  रहती  है  l  सदैव  अच्छे  लोगों  की  संगति  में  रहना  ,  तुम्हारा  जीवन  भी  सुखद  रहेगा  l  "       महाभारत  में  भी    इसी  सत्य  को  बताया  गया  है  -----  दुर्योधन  को  तो  बाल्यकाल  से  ही  शकुनि  की   संगत  मिली   इसलिए  वह  उसके  साथ  मिलकर  पांडवों  के  विरुद्ध  छल , कपट  और  षडयंत्र  करने  लगा   लेकिन  पितामह  भीष्म , गुरु  द्रोणाचार्य , कृपाचार्य    महाज्ञानी  ,  वीर  और  विद्वान्  थे   लेकिन   दुर्योधन  आदि  कौरवों  की  संगति  के  कारण  ,   और   दुर्योधन  युवराज  था  उसके  शासन  से  मिली  सुविधाओं  को  भोगने  के  कारण   वे  उसकी  हर  अनीति   और  षड्यंत्र   का  मौन  रहकर  समर्थन  करते  रहे  l  भीष्म  पितामह  को  तो  इच्छा मृत्यु  का  वरदान  था  ,  जिस  हस्तिनापुर  साम्राज्य  की  सुरक्षा  की  जिम्मेदारी  उन्होंने  ली  थी  ,  उसी  कौरव  वंश  का  अंत  उन्होंने  अपनी  आँखों  से  देखा  l  दुर्योधन   की   संगत   ने  उन्हें   शर शैया  पर    पहुंचा  दिया  l  वर्तमान  समय  में  भी  हम  देखें  तो  अधिकांश  लोग  क्षणिक  लाभ  के  लिए , अपनी  महत्वाकांक्षा  की  पूर्ति  के  लिए  दुष्टों  का  साथ  देते  हैं  l   इसका  दूरगामी  परिणाम  क्या  होगा  इसे  वे  समझ  नहीं  पाते  l  जब  ईश्वरीय  न्याय  होता  है  तब  विलाप  करते  हैं   l