' सच्चा सौन्दर्य आत्मा का होता है l '--------- आलिवर क्रामवेल की वीरता से मुग्ध एक चित्रकार एक दिन उनके पास जाकर बोला ---- " मैं आपका चित्र बनाना चाहता हूँ l " क्रामवेल ने कहा -----' जरुर बनाओ , यदि अच्छा चित्र बना तो तुम्हे पर्याप्त पारितोषिक मिलेगा l " क्रामवेल की तरह वीर योद्धा उन दिनों सारी पृथ्वी पर नहीं था l लेकिन दुर्भाग्य से वह बदसूरत था , उसके चेहरे पर एक बड़ा मस्सा था जिसके कारण वह कुरूप लगता था l चित्रकार ने चित्र में वह मस्सा नहीं बनाया , बहुत सुन्दर चित्र बना l जब क्रामवेल को दिखाया तो उसने कहा --- ' मित्र ! चित्र तो बढ़िया है लेकिन मेरी मुखाकृति नहीं है तो चित्र मेरे किस काम का l ' चित्रकार ने हिम्मत कर के उस चित्र में मस्सा भी बना काढ़ दिया l अब ऐसा लगने लगा , जैसे क्रामवेल स्वयं चित्र में उतर आया है l " अब बन गया अच्छा चित्र l " कहते हुए क्रामवेल ने उसे ले लिया और चित्रकार को इनाम देकर कहा ---- " मित्र ! मुझे अपनी बुराइयाँ देखने का अभ्यास है l यदि ऐसा न रहा होता तो वह शौर्य अर्जित न कर सका होता , जिसके बल पर मैंने यश कमाया l "