7 April 2023

WISDOM -----

   सुकरात  महान  दार्शनिक  थे  , उन्होंने  अपने  आचरण  द्वारा  ही  शिष्यों  को  ज्ञान  दिया  l  उन्होंने  अपना  स्वयं    के   उदाहरण   से  शिष्यों  को  समझाया  कि  ज्योतिष  का  आकृति  विज्ञानं   हमारे  चेहरे  की  आकृति  को  देखकर  जो  दुर्गुण  बताता  है  ,  उन  दुर्गुणों  पर   विवेक  के  जागरण  से   विजय  संभव  है  , सद्बुद्धि  के  जागरण  से  गुण , कर्म  और  स्वभाव  में   आमूलचूल  परिवर्तन   कर  उन  दुर्गुणों  पर  अंकुश  रखा  जा  सकता  है  l --------  एक  बार  सुकरात  अपने  शिष्यों  के  साथ  गंभीर  विषयों  पर  चर्चा  कर  रहे  थे  , उस  समय  एक  ज्योतिषी  आया  और  उसने  कहा  मैं   किसी  के   चेहरे  की  आकृति  देखकर   उस  व्यक्ति  के  स्वाभाव  और  चरित्र  के  बारे  में  बता  सकता  हूँ   l  आप  मुझे  एक  अवसर  प्रदान  करो  l  "    सुकरात  स्वयं  कहते  थे  कि  वे  बदसूरत  हैं  , उन्होंने  अपने  शिष्यों  से  कहा --- "  तुम  सभी  इस  ज्योतिषी  से   मेरी  आकृति  का  सत्य  सुन  लो  l "   कुछ  गंभीर  होकर  वे  कहने  लगे  --" अपनी  आकृति  का  रहस्य  बाद  में  मैं  तुम्हे  बताऊंगा  l "    सुकरात  ने  ज्योतिषी  को  अनुमति  दी  कि  वह  उनकी   चेहरे  की  आकृति  का   परीक्षण  करे  l    ज्योतिषी  कहने  लगा ---- " इनके  नथुनों  की  बनावट  बता  रही  है  कि  इस  व्यक्ति  में  क्रोध  की  भावना  प्रबल  है  l  इसके  माथे  और  सिर  की  आकृति  के  कारण  यह  निश्चित  रूप  से  लालची  होगा  l  "  अपने  गुरु  के  बारे  में  अपमानजनक  टिप्पणी  सुनकर  शिष्य  बहुत  नाराज  होने  लगे  l  सुकरात  ने  शिष्यों  को  रोककर  अपनी  बात  आगे  बढ़ाने  को  कहा  l   ज्योतिषी  कहने  लगा --- "इसकी  ठोड़ी  की  रचना  कहती  है   कि  यह  सनकी  है  l  इसके  होठों  और  दांत  की  बनावट  के  अनुसार  यह  व्यक्ति  सदैव  देशद्रोह  करने  के  लिए  प्रेरित  रहता  है  l  "  सुकरात  ने  ज्योतिष  विद्या  के  आधार  पर  स्वयं  के  संबंध  में  लगाये  गए  तथ्यों  को  बड़े  ध्यानपूर्वक  सुना   और  अंत  में   ज्योतिषी  की  प्रशंसा  कर   उसे  इनाम  देकर  विदा  किया   l सुकरात  के   ज्योतिषी  के  प्रति  इस  व्यवहार  को  देखकर   व्शिश्य  भौंचक्के  रह  गए  l  शिष्यों  की  उलझन  को  सुलझाते  हुए  सुकरात  ने  कहा ---- "  यथार्थ  को  छिपाना  ठीक  नहीं  l  ज्योतिषी  ने  मेरे मेरे  संबंध  में  जो  कुछ  बताया  ,  वे  सभी  दुर्गुण  मुझमे  हैं   l  यही  मेरी  स्थूल  आकृति  का  सत्य  है  ,  किन्तु  उस  ज्योतिषी  से  एक  भूल  अवश्य  हुई ,  वह  है  कि   उसने  मेरी  आत्मिक  ज्ञान  की  शक्ति   पर  जरा  भी  गौर  नहीं  किया  l    उस  ज्ञान  की  मदद  से   मैं   अपने  सद् विवेक  को  जाग्रत  कर   अपने  समस्त   दुर्गुणों  पर  अंकुश  लगाए  रखता  हूँ  l "    सद्बुद्धि  ही  सब  कार्यों  में  प्रकाशित  है  l  सद्बुद्धि  की  जरुरत  हर  युग  में  है   l  गायत्री  मन्त्र  के  माध्यम  से  हम  ईश्वर  से  सद्बुद्धि  के  लिए  प्रार्थना  कर    सद्बुद्धि  और  सद विवेक  को  जाग्रत  कर  सुख -चैन  का  जीवन  जी  सकते  हैं  l