21 March 2022

WISDOM ------

   आज  का  समाज  चाहे  वह  किसी  भी  धर्म ,  जाति   का  हो  , यहाँ    तक    कि   सम्पूर्ण  धरती  पर  ही  पुरुष  प्रधानता  है  l   इसका  एक  नकारात्मक  पक्ष  यह  है  कि   प्राचीन  काल  से  आज  तक  जितने  भी  युद्ध  हुए , दंगे - फसाद ,  आगजनी ,  गोलाबारी ,  हत्या ,  अपराध ,  नारी  उत्पीड़न , छोटे - छोटे  बच्चों  को  सताया  जाना  ,  अनेक  ऐसे  अपराध  जिनका  लिखना  और  बोलना  भी   अक्षम्य  है ---- इन  सब  में  भी ' पुरुष  प्रधानता ' है  l   इस  वर्ग  ने  अपनी  प्रधानता  से  संसार  को  सुख - शांति   नहीं  दी  ,  सुख - चैन  छीना   है    l   हम  सब  एक  माला  के  मोती  है   l   एक  भी  अनैतिक , अमर्यादित  कार्य  समूची  मानवता   और   पर्यावरण   के  लिए  घातक  है   l  ऐसे  में  माला   का अस्तित्व  ही  खतरे  में  पड़   जाता  है   l    कहते  हैं  हर  अति  का  अंत  होता  है  l      जब  अत्याचार   और अन्याय  से  प्रकृति  भी  कराह  उठे ,   निर्दोष  बच्चों  के  आंसुओं  से  ब्रह्माण्ड  में  भी  कम्पन्न  हो  जाये ,  मानव  जाति   दया , करुणा , संवेदना ,  आत्मीयता    जैसे  गुणों  को  भुला  दे   ,  तब   भगवान  को  आना  ही  पड़ता  है  ,  परिवर्तन  के  लिए   l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  है  --- ' इक्कीसवीं  सदी  नारी  उत्कर्ष  की  सदी  है   l    विधाता  ने  उसे   समूची  मानवता  को   विकसित - परिष्कृत  करने  और  मुक्तिदूत  बनने  का  गरिमापूर्ण  दायित्व  सौंपा  है   l  यह  अपने  युग  का  सुनिश्चित  निर्धारण  है   l  "