10 November 2020

WISDOM ------

  एक  बार  साम्यवादी  विचारधारा   के  एक  पाश्चात्य    विद्वान्   महात्मा  गाँधी   के  पास  जाकर  बोले  ---- " महात्मा जी  !  जब  संसार  में  इतना  छल - कपट  ,  अशांति  और  खून - खराबा   चल  रहा  है  ,  तब  भी  आप  धर्म  की  बात  करते  हैं  l  बुराइयाँ   और   रक्तपात  जितनी  तेजी   से बढ़  रहे  हैं  ,  उसे  देखते  हुए   धर्म  निहायत  बेकार  चीज  है  l  "   बापू  ने  कहा ---- " महोदय  !  जरा  सोचिए   तो  सही   कि  जब  धर्म  की  मान्यता  रहते  हुए   लोग  इतनी   अशांति  फैलाए   हुए  हैं  ,  तो  उसके  न  रहने  पर   यह  कल्पना  सहज  ही  की  जा  सकती  है   कि  तब   संसार  की  क्या  दशा  होगी   ?  "  इस  पर  उन  सज्जन  से  कोई  जवाब  देते  न  बन  पड़ा  l 

WISDOM -----

   महर्षि  रमण   के  आश्रम  के  समीपवर्ती  गाँव  में   एक  अध्यापक  रहते  थे  l   एक  बार  अपने  पारिवारिक  जीवन  से  अत्यधिक   क्षुब्ध  होकर   आत्महत्या  करने  की  बात  सोचने  लगे  l   किसी  निर्णय  पर  पहुँचने  से  पहले   उन्होंने  महर्षि   की  सम्मति  जाननी   चाही    और  उनके  आश्रम  में  पहुँच  गए  l   महर्षि  रमण   आश्रमवासियों  के   भोजन  के  लिए  पत्तलें  बना  रहे  थे   l   दिव्यद्रष्टा  ऋषि  ने  अध्यापक  महोदय   के  आने  का  अभिप्राय  समझ  लिया   था  l   प्रणाम  करने  के   उपरांत  अध्यापक  बोले  -- ' भगवन  !   आप  इन  पत्तलों  को   इतने  परिश्रम  के  साथ  बना  रहे  हैं   और  आश्रमवासी   इनमें  खाना  खाकर   फेंक  देंगे  l '  महर्षि  मुसकराते   हुए  बोले  ---- '  सो  तो  ठीक  है  ,  वस्तु   का   पूर्ण  उपयोग  हो  जाने  पर   उसे  फेंक  देना  बुरा  नहीं  है  ,   बुरा  तो  तब  है   जब  उसे  अच्छी  अवस्था  में  ही   ख़राब  कर  के  फेंक  दिया  जाये   l  '   अध्यापक  महोदय  को   महर्षि  का  मर्मस्पर्शी   अभिप्राय   समझ  में  आ  गया    और  उन्होंने  आत्महत्या  करने  का   इरादा  छोड़  दिया  l