19 December 2020

WISDOM -----

   इंद्र  ने  विप्र  बनकर  छलपूर्वक   सूर्यपुत्र  कर्ण   के  कवच - कुण्डल  ले  लिए  l   कर्ण  के  समक्ष  शर्मिंदा  स्थिति  में  खड़े   इंद्र  से  कर्ण  ने  कहा  --- " मुझे  इस  बात  की  प्रसन्नता  है   कि   आज  स्वर्ग  धरती  से  नीचा   हो  गया  l   मेरे  दान  के  व्रत  से   आज  देवपति  इंद्र  भी  भिक्षुक  बनकर  आये  हैं  l  अपने  लाल  की  रक्षा  के  लिए  l  "  भगवान  भास्कर  ने    आकाश से  यह  दृश्य  देखा   और  अपनी  रश्मियों  से   कर्ण  के  शरीर  को  स्पर्श  कर   कहा  --- " वीर  !  तू  मेरा  सच्चा  पुत्र  निकला रे  !  तुझे  मैं  आज   आशीर्वाद  देता   हूँ   l   आज  तूने  पृथ्वी  को  महान   और  स्वर्ग  को  तुच्छ   बना  दिया  l   स्वर्ग  ने  पृथ्वी  पर  आकर  भिक्षा  मांगी  l   धन्य  है  कर्ण  !  तू  धन्य  है   !