पैट्रिक हेनरी का जन्म 1736 में वर्जीनिया प्रदेश में हुआ था जहां की मिट्टी और जलवायु तम्बाकू की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है, उसे वर्जीनियन तम्बाकू कहा जाता है । इसमें धरती का क्या दोष, यह तो मनुष्य की बुद्धि का फेर है कि वह उससे ऐसी नशीली वस्तुएं उपजाता है नहीं तो वर्जीनिया ने पैट्रिक हेनरी जैसे देशभक्त को भी तो उपजाया था ।
आज जिस देश को दुनिया का समृद्धतम देश माना जाता है वह कभी ब्रिटेन के आधीन एक उपनिवेश था । यह पराधीनता पैट्रिक हेनरी जैसे कुछ व्यक्तियों को असह्य थी । उत्तरी अमेरिका में बसे तेरह उपनिवेशों के निवासी लम्बे समय से ब्रिटेन के आधिपत्य से मुक्त होना चाहते थे । हेनरी पैट्रिक जिस उपनिवेश वर्जीनिया में रहते थे , वहां की जनता भी पराधीनता से मुक्ति पाने के लिए छटपटा रही थी । पैट्रिक हेनरी ने अपने ओजस्वी भाषणों के द्वारा जन-मानस में बसी हुई इस छटपटाहट को कर्म क्षेत्र में उतर पड़ने के लिए ललकारा । जन-सहयोग से उन्होंने अत्याचारियों के विनाश में आशाजनक सफलता पाई ।
' व्यक्ति के पास कितनी ही बड़ी शक्ति क्यों न हो, जनता की संगठित सामर्थ्य से वह कम ही रहती है । '
उनका यह वाक्य ' मुझे आजादी चाहिए या मौत ' यह वर्जीनिया के प्रत्येक व्यक्ति की आवाज बन गया । अमेरिका की स्वतंत्रता के बाद उन्हें वर्जीनिया का गवर्नर बनाया गया । उस समय वर्जीनिया में जो आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक प्रगति हुई उसे आज भी याद किया जाता है । गवर्नर बन जाने पर भी वे सामान्य व्यक्तियों से उसी प्रेम और आत्मीयता से मिलते थे ।