भगवान बुद्ध ने सही अर्थों में मनुष्य को जीवन जीना सिखाया , अपने आप को जानना और जीवन की नश्वरता को शाश्वतता में अनुभव करना सिखाया | भगवान बुद्ध का जीवन सत्य की खोज में , निर्वाण प्राप्ति में तथा लोगों को उपदेश देने व सन्मार्ग पर लाने में व्यतीत हुआ |
उन्होंने मानव मनोविज्ञान और दुःख के हर पहलू के विषय में चर्चा की और उसके समाधान भी बताए | भगवान बुद्ध ने यह कभी दावा नहीं किया कि वे मोक्ष-दाता हैं | उनका कहना था कि वे केवल मार्ग बताने वाले हैं और अपने मोक्ष के लिये व्यक्ति को स्वयं ही प्रयास करना होगा |
एक बार एक ब्राह्मण की इसी शंका का निवारण करते हुए भगवान बुद्ध ने कहा -- " एक व्यक्ति तुमसे राजगृह जाने का रास्ता पूछता है और तुम उसे ठीक मार्ग बता देते हो , लेकिन वह उसे छोड़कर गलत मार्ग पर चल देता है , पूर्व दिशा के बदले पश्चिम की ओर चला जाता है तो वह राजगृह नहीं पहुँच पायेगा , लेकिन एक दूसरा आदमी आता है , वह भी राजगृह का रास्ता पूछता है , उसे भी तुम सही रास्ता बताते हो तो वह तुम्हारे बताये मार्ग पर चलकर राजगृह पहुँच जाता है | अब यह बताओ कि इन दो परिणामों के बारे में तुम क्या करोगे ? "
ब्राह्मण ने उत्तर दिया -- " मैं कुछ नहीं करूँगा , मेरा काम तो मार्ग बता देना है | चलना और जाना उनका काम है | " यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले --" हे ब्राह्मण ! मेरा काम भी केवल रास्ता बता देना है , उस मार्ग पर चलने का प्रयास व्यक्ति को स्वयं ही करना होगा | "
बुद्ध का मार्ग खोज का मार्ग है और इसी खोज के आधार पर उन्होंने मनुष्य जीवन का सही मर्म लोगों को बताया |
उन्होंने मानव मनोविज्ञान और दुःख के हर पहलू के विषय में चर्चा की और उसके समाधान भी बताए | भगवान बुद्ध ने यह कभी दावा नहीं किया कि वे मोक्ष-दाता हैं | उनका कहना था कि वे केवल मार्ग बताने वाले हैं और अपने मोक्ष के लिये व्यक्ति को स्वयं ही प्रयास करना होगा |
एक बार एक ब्राह्मण की इसी शंका का निवारण करते हुए भगवान बुद्ध ने कहा -- " एक व्यक्ति तुमसे राजगृह जाने का रास्ता पूछता है और तुम उसे ठीक मार्ग बता देते हो , लेकिन वह उसे छोड़कर गलत मार्ग पर चल देता है , पूर्व दिशा के बदले पश्चिम की ओर चला जाता है तो वह राजगृह नहीं पहुँच पायेगा , लेकिन एक दूसरा आदमी आता है , वह भी राजगृह का रास्ता पूछता है , उसे भी तुम सही रास्ता बताते हो तो वह तुम्हारे बताये मार्ग पर चलकर राजगृह पहुँच जाता है | अब यह बताओ कि इन दो परिणामों के बारे में तुम क्या करोगे ? "
ब्राह्मण ने उत्तर दिया -- " मैं कुछ नहीं करूँगा , मेरा काम तो मार्ग बता देना है | चलना और जाना उनका काम है | " यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले --" हे ब्राह्मण ! मेरा काम भी केवल रास्ता बता देना है , उस मार्ग पर चलने का प्रयास व्यक्ति को स्वयं ही करना होगा | "
बुद्ध का मार्ग खोज का मार्ग है और इसी खोज के आधार पर उन्होंने मनुष्य जीवन का सही मर्म लोगों को बताया |