31 May 2020

WISDOM ------

 तृतीय  सिख  गुरु   अमरदास जी ने   बासठ  वर्ष  की  उम्र  तक  कोई  गुरु  नहीं  किया  l   उन्हें  जब  यह  ज्ञात  हुआ  कि   गुरु  के  बिना  ज्ञान  नहीं  होता   तो  उन्होंने  गुरु  अंगद  देव जी  से  दीक्षा  ली  l   वे  बड़े  भोर  उठकर   तीन  कोस   दूर  नदी  से   गुरु  के  स्नानार्थ   जल  ले  आते  l   एक  अँधेरी  रात  में  वे  जल  लेकर  लौट  रहे  थे   तो  रास्ते  में  जुलाहे  की  खड्डी   से  उनका  पाँव  टकरा  गया   और  वे  गिर  पड़े  l   जुलाहा  जाग   उठा  और   पत्नी  से  बोलै --- " देख  तो  कौन  गिर  पड़ा  खड्डी   में  ? "
जुलाहिन   ने  कहा ---- " अरे  कौन  होगा  ,  वही  अनाथ  अमरु   जो  आधी  रात  में  गुरु  की  खिदमत  के  लिए  उठ  जाता  है  l "  प्रात:काल   गुरु  अंगद देव जी  ने  यह  वार्ता  सुनी  l  उन्होंने  सिखों  के  दरबार  में   रात  की  यह  घटना  बताई   और  अमरदास जी  को  गले  लगाकर  बोले  ---- " यह  अमरु  अनाथ  नहीं  है , बल्कि  सिखों  का  स्वामी  है  l  सेवा  धर्म  का  पालन  करने  के  कारण  यह  गुरु गद्दी  का  अधिकारी  है  l "
 जिस  स्थान  पर  गुरु  अमरदास  ठोकर  खाकर  गिरे  थे  ,  वहां  आज  भी  विशाल  गुरुद्वारा   उनकी  निष्ठा  का  यश  सुनाता  हुआ  खड़ा  है  l