मिथिलांचल में यह मान्यता है कि वहां दो ही राजा हुए हैं --एक राजा जनक एवं दूसरे रामेश्वरप्रसाद सिंह | दरभंगा उन दिनों बहुत बड़ी रियासत थी | रामेश्वरप्रसाद सिंह तंत्रशास्त्र के बहुत बड़े विद्वान् थे | उनकी सारी पढ़ाई इंग्लैंड में हुई , पर यहाँ आकर उन्होंने भारतीय वाड्मय का पूरा अध्ययन किया | सर जॉन वुडरफ उन्हें अपने गुरु समान मानते थे | सर जॉन वुडरफ हाईकोर्ट जज थे , उन्ही की प्रेरणा से उन्होंने शिवचंद्र भट्टाचार्य से तंत्र सीखा |
राजा रामेश्वरप्रसाद हर तीर्थ में भ्रमण करके आये और हर स्थान पर दरभंगा भवन स्थापित कराया | उनके राज्य में 1000 पंडित राज्य एवं समष्टि के कल्याण के लिये सतत उपासना करते रहते थे | उनकी साधना का लक्ष्य व्यक्ति नहीं , सारे राज्य के जन-जन थे , जिन्हें पुण्यफल का भागीदार बनाया गया था |
एक बार दरभंगा बाढ़ में डूबने के कगार पर आ गया | वे पूजन कर निकल रहे थे , लोगों ने बताया कि नदी उफन रही है | नेपाल से पानी तेजी से आ रहा है | वे नदी के किनारे टहलने लगे और बोले -- " नदी मेरी माँ से ताकतवर नहीं हो सकती | " लगभग तीन मील किनारे-किनारे घूमे | उतनी ही नदी की धारा बदलती गई | पूरा दरभंगा राज्य बच गया |
साधना में शक्ति हो तो प्रकृति को भी अपने अनुकूल बनाया जा सकता है
राजा रामेश्वरप्रसाद हर तीर्थ में भ्रमण करके आये और हर स्थान पर दरभंगा भवन स्थापित कराया | उनके राज्य में 1000 पंडित राज्य एवं समष्टि के कल्याण के लिये सतत उपासना करते रहते थे | उनकी साधना का लक्ष्य व्यक्ति नहीं , सारे राज्य के जन-जन थे , जिन्हें पुण्यफल का भागीदार बनाया गया था |
एक बार दरभंगा बाढ़ में डूबने के कगार पर आ गया | वे पूजन कर निकल रहे थे , लोगों ने बताया कि नदी उफन रही है | नेपाल से पानी तेजी से आ रहा है | वे नदी के किनारे टहलने लगे और बोले -- " नदी मेरी माँ से ताकतवर नहीं हो सकती | " लगभग तीन मील किनारे-किनारे घूमे | उतनी ही नदी की धारा बदलती गई | पूरा दरभंगा राज्य बच गया |
साधना में शक्ति हो तो प्रकृति को भी अपने अनुकूल बनाया जा सकता है