18 November 2020

WISDOM -----

   चैतन्य  महाप्रभु  जगन्नाथपुरी  से   दक्षिण  की  यात्रा  पर  निकले  l   रास्ते  में  एक   सरोवर  के  किनारे  उन्होंने  एक  ब्राह्मण  को  गीता - पाठ  करते  देखा   l   वह  गीता  के  पाठ  में  इतना  तल्लीन  था  कि   उसे  अपने  शरीर  की  सुध  नहीं  थी   ,  उसका  हृदय  गद्गद   हो  रहा  था   और  नेत्रों  से   आँसुओं   की  धारा   बह   रही  थी  l   उसका  पाठ  समाप्त  होने  पर   चैतन्य  महाप्रभु   ने  पूछा  --- " तुम  श्लोकों  का  अशुद्ध  उच्चारण  कर  रहे  थे  ,  तुम्हे  इसका  अर्थ  मालूम  न  होगा  ,  परन्तु  तब  भी  तुम  इतने  भाव-विभोर  कैसे  थे  ? "  उसने  उत्तर  दिया  ---- " भगवन  !  मैं  क्या  जानूँ   संस्कृत  l  मैं  तो  जब  पढ़ने  बैठता  हूँ   तो  ऐसा  लगता  है  कि  कुरुक्षेत्र  के  मैदान  में   दोनों  ओर  बड़ी  भारी  सेनाएं  सजी  हुई  खड़ी  हैं   l    जहाँ  बीच  में   एक  रथ  पर   भगवान  कृष्ण   अर्जुन  से  कुछ  कह  रहे  हैं  l   इस  दृश्य  को   देखकर   मन  भाव  से  भर  उठता  है  l "     चैतन्य  महाप्रभु   ने  कहा --- '  भैया  तुमने  ही    गीता  का  सच्चा  अर्थ  जाना  है  l  "   यह  कहकर  उन्होंने   उसे  अपने  गले  से  लगा  लिया   l