15 April 2022

--WISDOM-----

  आज  संसार  में  बेईमानी , भ्रष्टाचार , छल - कपट  बहुत  बढ़  गया  है  ,  लोग  दूसरों  को  धोखा  देकर   बहुत  प्रसन्न  होते  हैं    लेकिन  यह  प्रसन्नता  स्थायी  नहीं  है  , कहीं  न  कहीं  वे  भी  ठगे  जाते  हैं  l  प्रकृति  में  संतुलन  कुछ  इस  ढंग  से  होता  है   कि   यदि  हमने  किसी  का  भला  किया  है  तो  यह  जरुरी  नहीं  कि   वही  व्यक्ति  हमारा  कुछ  भला  करेगा  ,    जब  हम  किसी  परेशानी  में  होते  हैं   तो  प्रकृति  में  कहीं  न  कहीं  से   किसी  रूप  में  हमें  उस  पुण्य  का  फल  मिल  जाता  है   और  उस  परेशानी  से   छुटकारा  मिल  जाता  है  l  इसी  तरह  यदि  किसी  ने   धोखा , छल कपट  किया  है   तो  उसे  भी  कभी  न  कभी  ऐसी  ही  नकारात्मक  परिस्थितियों  का  सामना  अवश्य  करना  पड़ेगा  l  प्रकृति  में  संतुलन  होता  है  l   एक   बोध  कथा  है ----- एक  बुढ़िया  सूत  कातकर  हाट  में  बेचने  जाया  करती  थी   l  वजन  उसका  अधिक  बैठे   इसके  लिए  वह  चतुरता  करती  कि   उसमे  पानी  छिड़क   कर  ले  जाती   जिससे  वे  थोड़े  भारी  हो  जाएँ  l  खरीदार  बनिया  भी  चतुर  था  l  उसने   तराजू  के  बाट   वाले  पलड़े  में   वजनदार  गाँठ  बाँध  रखी   थी   कि   उस  उपाय  से  अधिक  माल  लिया  जा  सके  l   कोई  अपने  में  प्रसन्न  हो  ले  कि  दूसरे  को  ठग  कर  लाभ  उठा  लिया    पर  वैसा  कभी कभी  हो  नहीं  पाता  l