जब संसार में आसुरी शक्तियां प्रबल हो जाती हैं तब ऐसे ही चारों ओर हाहाकार मचता है l आसुरी शक्तियों का प्रमुख लक्षण यही है कि वे बेगुनाह को , निर्दोष पर अत्याचार करती हैं l जैसे रावण , स्वयं को राक्षसराज रावण कहता था , अपनी ' सोने की लंका ' की चाहत में उसने दसों दिशाओं में आतंक फैलाया , ऋषियों का , बेगुनाहों का खून बहाया l ' महाभारत ' एक परिवार , एक खानदान के बीच की लड़ाई थी जिसमे विभिन्न राजाओं ने किसी पक्ष के समर्थन में युद्ध में भाग लिया l यहाँ आसुरी तत्व नहीं थे , युद्ध के नियम थे जैसे सूर्यास्त के बाद युद्ध नहीं होगा , निहत्थे पर वार नहीं होगा , शत्रु पर पीछे से वार नहीं होगा , शत्रु को चुनौती देने , ललकारने के बाद ही उससे युद्ध होगा अदि अनेक नियम थे l समय - समय पर उनका उल्लंघन भी हुआ , लेकिन वह अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए युद्ध था l भीम और हिडिम्बा का पुत्र घटोत्कच जो मायावी शक्तियां जानता था , जब अपनी मायावी शक्ति से कौरव सेना को नष्ट करने लगा तब कर्ण ने इंद्र द्वारा दी गई शक्ति से उसका वध किया l युद्ध चाहे किसी भी युग का हो , यदि उसमे महिलाएं , मासूम बच्चे और बेगुनाह लोग मारे जाते हैं तो वह युद्ध आसुरी है l असुर के सिर पर बड़े सींग और भयावह आकृति नहीं होती , असुरता एक प्रवृति है जो निर्दोष लोगों को सताने और उनका खून बहाने से ही तृप्त होती है l आचार्य श्री लिखते हैं ---- ' इस संसार में दुष्टता कभी भी स्थिर होकर नहीं रह सकी , असुरता से देवत्व की आयु अधिक है l ' जब संसार में सन्मार्ग पर चलने वाली शक्तियां एकजुट होंगी तब असुरता हारेगी , अंधकार दूर होगा और एक नई सुबह होगी l