20 May 2021

WISDOM ------

   जब  संसार  में  आसुरी  शक्तियां  प्रबल  हो  जाती  हैं    तब  ऐसे  ही  चारों  ओर   हाहाकार  मचता  है  l   आसुरी  शक्तियों  का  प्रमुख  लक्षण  यही  है  कि   वे  बेगुनाह  को  ,  निर्दोष   पर  अत्याचार  करती  हैं  l   जैसे  रावण  , स्वयं  को  राक्षसराज  रावण  कहता  था  ,  अपनी  ' सोने  की  लंका  '  की  चाहत  में  उसने   दसों   दिशाओं  में  आतंक  फैलाया  , ऋषियों  का  , बेगुनाहों  का  खून  बहाया  l '  महाभारत  '   एक    परिवार , एक  खानदान  के  बीच  की  लड़ाई  थी   जिसमे  विभिन्न  राजाओं  ने    किसी  पक्ष  के  समर्थन   में युद्ध  में  भाग  लिया  l  यहाँ  आसुरी  तत्व  नहीं  थे  ,  युद्ध  के  नियम  थे   जैसे  सूर्यास्त  के  बाद  युद्ध  नहीं  होगा  ,  निहत्थे  पर  वार  नहीं  होगा  ,  शत्रु   पर  पीछे  से  वार  नहीं  होगा ,  शत्रु  को  चुनौती  देने , ललकारने  के  बाद  ही  उससे  युद्ध  होगा   अदि  अनेक  नियम   थे  l   समय - समय  पर  उनका  उल्लंघन  भी  हुआ  , लेकिन  वह  अधर्म  के  नाश  और  धर्म  की  स्थापना  के  लिए  युद्ध  था  l    भीम और  हिडिम्बा  का  पुत्र   घटोत्कच   जो  मायावी  शक्तियां   जानता   था  ,   जब   अपनी  मायावी  शक्ति  से  कौरव  सेना  को  नष्ट   करने  लगा   तब  कर्ण  ने  इंद्र  द्वारा  दी  गई  शक्ति  से  उसका  वध  किया   l   युद्ध  चाहे  किसी  भी  युग  का  हो  , यदि  उसमे    महिलाएं , मासूम  बच्चे  और  बेगुनाह  लोग  मारे  जाते  हैं   तो  वह  युद्ध  आसुरी  है  l   असुर  के   सिर   पर  बड़े  सींग    और  भयावह  आकृति  नहीं  होती  ,  असुरता  एक  प्रवृति  है   जो  निर्दोष  लोगों  को  सताने  और  उनका  खून  बहाने  से  ही  तृप्त  होती  है  l   आचार्य  श्री   लिखते  हैं  ---- ' इस  संसार  में  दुष्टता  कभी  भी  स्थिर  होकर  नहीं  रह  सकी ,  असुरता  से  देवत्व  की  आयु  अधिक  है  l '   जब  संसार  में  सन्मार्ग  पर  चलने  वाली  शक्तियां   एकजुट  होंगी   तब  असुरता  हारेगी , अंधकार  दूर  होगा   और  एक  नई   सुबह  होगी   l