15 June 2022

WISDOM -------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' वास्तविकता  बहुत  देर  तक  छिपाए  नहीं नहीं  रखी   जा  सकती  l  व्यक्तित्व  में  इतने  अधिक  छिद्र  होते  हैं   कि  उनमे  से  होकर  गंध   दूसरों  तक  पहुँच  ही  जाती  है   l   अपने  को  सभ्य   कहने  वाला  मनुष्य   आज  कितना  बनावटी  हो  चला  है  ,  बात -बात  पर   अभिनय  करने  वाला , समय - समय  पर   भिन्न -भिन्न  मुखौटे  ओढ़ने   की   विडम्बना  में  फँसा  हुआ  है   l      एक  लघु - कथा  है  ----------------- एक  जंगल  में  एक  सियार  रहा  करता  था   l  एक  दिन  वह  मार्ग  भटक  कर   इनसानों  की  बस्ती  में  जा  पहुंचा  l  उसे  वहां  देखते  ही  नगर  के  कुत्ते  उसके  पीछे   पड़    गए  l  सियार  जान  बचाकर  भागने  लगा  कि  रास्ते  में  एक  रंगरेज  का  घर  पड़ा  l   घर  के  पिछवाड़े  रंगरेज  ने   नीला  रंग  बरतन  में  रखा  था   और  भागता  हुआ  सियार  उसी  में  गिर  पड़ा   l  रंगा  हुआ  सियार   जब  वापस  जंगल  पहुंचा   तो  नीले  रंग  के  सियार  को  देखकर   जंगल  में  सभी  जानवर   उससे  डरने  लगे   l  अब  क्या  था  , सियार  के  दिमाग  में  एक  कुटिल  तरकीब   आई  l  एक  बड़े  से  पत्थर  पर  चढ़कर  वह  जोर  से  चिल्लाया  --- " जंगल  के  निवासियों  !  मैं  तुम्हारा   नया  राजा  हूँ   l  मुझे  भगवान  ने  दर्शन  देकर   नीला  रंग  दिया  है  ,  ताकि  मैं  नए  राजा  के  रूप  में  तुम्हारी  रक्षा  कर  सकूँ  l "  जानवर  भयभीत  थे  ,  उसकी  बात  को  सच  मानकर  उसे  अपना  राजा  मान  लिया  ,  अब   रंगे    सियार  के  दिन  सुख  से  बीतने  लगे   l  एक  दिन  जब  वह  सभा  कर  रहा  था   टी,  उसी  समय  दूर  से  सियारों   के  एक  झुण्ड  से   ' हुआ -हुआँ  '  की  आवाज  आई  l  रंगे  सियार  के  मुंह  से  भी   स्वाभाव वश  वही  आवाज  निकली   और  उसे  सुनते  ही  उसकी  असलियत  सबके  सामने  आ  गई   l  अब  सब  उसे  मारने  दौड़े  ,  बड़ी  मुश्किल  से  वह  अपनी  जान  बचाकर  उस  जंगल  से  ही  भाग  गया   l    इस  कथा  से  यह  शिक्षा  मिलती  है  कि  ----- केवल  बाह्य  परिवेश  बदल  लेने  से   कुछ  नहीं  होता  ,  यदि  चिन्तन  और  चरित्र  में   श्रेष्ठता  नहीं  आती   तो  एक  दिन  सच्चाई  सबके  सामने   आकर  रहती  है    l