सच्चा मित्र कौन है ? सच्चा मित्र वो है जो आपको गलत राह पर चलने से रोके l सच्चाई और ईमानदारी से स्वयं जीवन जिए और आपको भी वैसा ही जीवन जीने की प्रेरणा दे l ---- यदि ऐसा नहीं है तब वह मित्रता स्वार्थ के लिए है l ऐसा मित्र यदि पाप के रास्ते पर चलता है और स्वार्थवश आप उसका समर्थन करते हैं तो यह उसके पाप में भागीदारी हो गई और इसके साथ ही प्रकृति के दंड से भी नहीं बच सकते l ---महाभारत का एक पात्र कर्ण का जीवन कुछ ऐसा ही था l जब सभा में उसको सूत पुत्र कहकर अपमानित किया जा रहा था , तब दुर्योधन ने उसको अंगदेश का राजा बनाकर सम्मान दिया था l इस एहसान के कारण ही कर्ण ने मित्र- धर्म निभाया l दुर्योधन अधर्म पर था l मामा शकुनि के साथ मिलकर पांडवों को हर तरह से परेशान करना l छल कपट और षड्यंत्र ही उसकी नीति थी l कर्ण में विवेक था वह जानता भी था कि दुर्योधन गलत है , लेकिन उसने कभी दुर्योधन को सही - गलत नहीं समझाया , पांडवों के प्रति किये जाने वाले उसके हर गलत कदम का समर्थन किया l उसका कहना था कि यह उसका मित्र के प्रति धर्म है l अधर्मी और अत्याचारी का साथ देने का परिणाम उसके लिए घातक हुआ l कर्ण महावीर और महादानी था , वह यह जनता था कि वह सूर्य पुत्र है लेकिन अधर्म और अन्याय का साथ देने के कारण वह पराजित हुआ l अत्याचारी और अन्यायी स्वयं तो डूबता है , अपने मित्र और कुटुम्बियों को भी संग में ले डूबता है l
6 March 2022
WISDOM -----
संसार में आज जितनी भी समस्याएं हैं उनके लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है l जीवन का कोई भी क्षेत्र हो , यदि उसमें संतुलन न हो तो अशांति उत्पन्न होती है l जैसे किसी राज्य में सुख - शांति हो , कुशल प्रशासन हो , इसके लिए एक विशेष प्रशासनिक योग्यता की आवश्यकता होती है l इसी तरह व्यापारिक कार्यों के लिए एक अलग कुशलता की आवश्यकता होती है l ये दोनों योग्यता बिलकुल अलग है और इन दोनों के उद्देश्य भी अलग हैं l अब यदि राजनीति में व्यापारिक बुद्धि का दखल हो जायेगा , तो संतुलन भंग हो जायेगा फिर उनके गुणा - भाग , लाभ सक्रिय हो जायेंगे , इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा l ' व्यापार ' यह ऐसा ही है , जिस भी क्षेत्र में घुस जाये , चाहे वह शिक्षा हो , चिकित्सा हो , सुरक्षा हो , उसी क्षेत्र का बंटाधार कर देता है l इसलिए हमारे प्राचीन ऋषियों ने हर क्षेत्र की मर्यादा निर्धारित की थी l