23 February 2023

WISDOM -----

   पुराण  में  कथा  है  कि    समुद्र  मंथन  में  कालकूट  विष  निकला  ,  शिवजी  ने  उसे  अपने  कंठ  में  धारण  किया  l  उसे  पीते  समय  उस  विष  की  कुछ  बुँदे  मिटटी  पर  गिर  गईं   l  वह  वही  मिटटी  थी  जिससे  ब्रह्मा जी  मनुष्यों  की  देह  बनाया  करते  थे  l  उस  विषैली  मिटटी  से  बने  शरीर  में  वही  विष  ईर्ष्या , द्वेष  की  आग  बन  कर    सबका  अहित  करता  है   और  यह  आग   पूरे  वातावरण  को  जहरीला  बना  देती  है  l    यह  दुर्गुण  ऐसा  है  जो  सब  में   चाहे  वह  सामान्य  व्यक्ति  हो  , राजा  हो , अधिकारी  हो  या  कोई  ऋषि  , तपस्वी  हो  सब  में   थोड़ी -बहुत  मात्रा  में  पाया  जाता  है   l  इस  कारण  ही  परिवार  में , समाज  में   और  पूरे  संसार  में  अशांति  है  l    पुराण  में  एक  कथा  है --- ऋषि  वशिष्ठ  और  विश्वामित्र   में   द्वेष  के  कारण  ऐसा  शत्रुता  का  भाव  उत्पन्न  हो  गया  कि   एक   दूसरे  को  देखते  ही   अपशब्द  कहने  लगते  थे  l  एक  बार  इंद्र  के  यज्ञ   में  जाने  के  लिए  वशिष्ठ  जी  आश्रम  से  बाहर  निकले  कि  उनका  सामना  विश्वामित्र  से  हो  गया  l  अब  दोनों  एक  दूसरे  पर  अपशब्दों  की  बौछार  करने  लगे  l   बात  इतनी  बढ़  गई  कि   वशिष्ठ  ने  विश्वामित्र  को  बगुला  बन  जाने  का   शाप  दिया  l  विश्वामित्र  ने  भी  उनको  ' आडी '  नामक  पक्षी  बना  दिया  l  दोनों  ही  सरोवर  के  तट  पर  घोंसला  बनाकर  रहने  लगे  लेकिन  वे  पुराना  वैर  भूले  नहीं  और  नित्य  प्रति  युद्ध  करने  लगे  l  उनके  बच्चे , सम्बन्धी  भी  युद्ध  में  शामिल  हो  गए   l  यह  युद्ध  बहुत  वर्षों  तक  चला  जिससे  वह  सरोवर  और  उसके   आस -पास  का  रमणीक  प्रदेश    घ्रणित   रूप  में  परिवर्तित  हो  गया  l  इस  दुर्दशा  को  देख   पितामह  ब्रह्मा  वहां  पधारे  और  दोनों  को  शाप मुक्त  कर  के  बहुत  डांटा - फटकारा   कि  ज्ञानी , तपस्वी  होकर  तुम   मूर्खों  जैसा  कार्य  कर  रहे  हो   तो फिर  सामान्य  जन  की  क्या  कहें   l