कोई भी परिवर्तन चाहे बड़ा हो या छोटा विचारों में परिवर्तन के रूप में ही जन्म लेता है । मनुष्यों और समाज की विचारणा और धारणा में जब तक परिवर्तन नहीं आता तब तक सामाजिक परिवर्तन भी असंभव ही है और विचारों के बीज साहित्य के हल से ही बोये जा सकते हैं ।
जिस प्रकार जासूसी उपन्यास , अपराध फिल्म और अश्लील साहित्य पढ़कर कोई भी व्यक्ति चोर , डाकू और लुटेरा बन सकता है उसी प्रकार सत्साहित्य का अध्ययन मनुष्य के व्यक्तित्व और विचारों में उत्कर्ष करने में सहायक है | अपना समय व्यर्थ की बातों में न गंवाकर उपयोगी एवं उत्कृष्ट - साहित्य का अध्ययन कर उनसे प्राप्त प्रेरणाओ से जीवन के लिए उचित मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है ।
जिस प्रकार जासूसी उपन्यास , अपराध फिल्म और अश्लील साहित्य पढ़कर कोई भी व्यक्ति चोर , डाकू और लुटेरा बन सकता है उसी प्रकार सत्साहित्य का अध्ययन मनुष्य के व्यक्तित्व और विचारों में उत्कर्ष करने में सहायक है | अपना समय व्यर्थ की बातों में न गंवाकर उपयोगी एवं उत्कृष्ट - साहित्य का अध्ययन कर उनसे प्राप्त प्रेरणाओ से जीवन के लिए उचित मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है ।