25 February 2023

WISDOM ------

 1 . महात्मा  रामानुजाचार्य   अपनी  शारीरिक  दुर्बलता  के  कारण   नदी  स्नान  करने  जाते  हुए  लोगों  का  सहारा  लेकर  जाया  करते  थे   l  जाते  समय  वे  ब्राह्मण  के  कन्धों  का  सहारा  लेते   और  आते  समय   शूद्र  के  कन्धों  पर  हाथ  रखकर  आते  l  लोगों  ने  आश्चर्य पूर्वक  पूछा ---- " भगवान  !  शूद्र  के  स्पर्श  से  तो   आप  अपवित्र  हो  जाते  हैं  ,  फिर  स्नान  का  महत्त्व  क्या  रहा  ?  "    महात्मा  ने  कहा --- " स्नान  से  तो  मेरी  देह  मात्र  शुद्ध  होती  है  l  मन  का   मैल   तो  अहंकार  है  l  जब  तक  मनुष्य  में  अहंकार  शेष  है  ,  तब  तक  उसे  मन    का  मलीन   कहा  जाता  है  l  मैं  शूद्र  का  स्पर्श  कर के   अपने  मन  की  मलीनता   स्वच्छ  करता  हूँ   l  मैं  किसी  से  बड़ा  नहीं,  सब  मुझसे म बड़े  हैं  ,  शूद्र  भी  मुझसे  श्रेष्ठ  हैं  ,  इसी  भावना  को  स्थिर  रखने  के  लिए   शूद्र  का  सहारा  लिया  करता  हूँ  l  "  उनका  कहना  था   कि  शरीर  ही  नहीं  मन  को  भी  पवित्र  रखने  की  व्यवस्था   करनी  चाहिए  l