6 September 2019

WISDOM ------ दुरात्मा मनुष्य राजदंड से बच सकता है , पर आत्मदंड से नहीं बच सकता l

  एक  घटना  है ---- ' पिता  की  हत्या  कर  के  खुद  राज्य सिंहासन  पर  बैठा  हुआ  टर्की  का  खलीफा  मौतासर   उन  दिनों  बड़ा  प्रसन्न  था  l  राजसिंहासन  मिलने  के  उपरांत  प्राप्त  होने  वाले  सभी  सुख  उसे  उपलब्ध  होने  लगे  थे  l  एक  दिन  खलीफा  मौतासर  घोड़े  पर  सवार  अपने  साथियों  सहित  कहीं  जा  रहा  था  l  जन शून्य  स्थान  में  उसे  बहुत  बड़ी  कब्र  दिखाई  दी  l  खलीफा  की  इच्छा  उसे  देखने  की  हुई   और  घोड़ा  बढ़ाता  हुआ  वह  उसके  निकट  पहुंचा  l  कब्र  पर  एक  पत्थर  लगा  हुआ  था  l  खलीफा  ने  उसे  ध्यानपूर्वक पढ़ा   तो  उस  पर  लिखा  हुआ  था  ----- ' मैं  सरीज   खुशरो  का  पुत्र  गढ़ा  हुआ  हूँ इस  कब्र  के  नीचे  l  लोभ  के  वश  मैंने  राज्य सिंहासन  पाया   और  इसके  लिए  मरवाया  अपने  बेगुनाह  पिता  को  l  मेरी   मौत  बनकर  आया  मेरा  कुकर्म  और  मैं  ताज  सिर  पर  न  रख  सका  छह  महीने  भी  l  अपने  पिता  की  तरह  मैं  भी  बैठ  रहा  हूँ   इस  पत्थर  के  नीचे  l
मौतासर   को  स्मरण  आया  कि  पाप  का  क्या  परिणाम  होता  है  l  और  उसी  के  जैसा  कुकृत्य  करने  वाला   एक   दूसरा   व्यक्ति    किस  प्रकार  अकाल  मृत्यु  का  शिकार  हो  चुका  है   l  खलीफा  के  ह्रदय  में  हजार  बिच्छुओं   के  काटने  जैसी  पीड़ा  होने  लगी  ,   वह  अपने  पाप  का     स्मरण  कर  के  सिर  धुनने  लगा   l   कहते  हैं  इस  कब्र  को  देखने  के  बाद   खलीफा  सिर्फ  तीन  दिन  ही  जिन्दा  रहा  और  रोते - रोते  मर  गया   l
  पाप  करने  वाले  को  उसकी  आत्मा  ही  दंड  देने  की  पर्याप्त  क्षमता  रखती  है   l  विपुल  साधन - संपन्न  होते  हुए  भी  व्यक्ति  इसी  कारण  सुख - शांतिपूर्वक  नहीं  रह  पाते   कि  उन  उपलब्धियों  के  मूल  में  छुपी  अनैतिकता    व्यक्ति  की  चेतना  को  विक्षुब्ध    किये   रहती  है   l