25 July 2021

गुरु स्वयं सत्पात्र को खोजते हैं ---

   सवर्णों  के  दबाव  के  कारण  अछूत  वर्ग  के  व्यक्तियों  को  मुसलमान   बनाने  में   यवनों  को  मदद  मिलती  थी  l   संत  रविदास  एक  ओर   अपने  लोगों  को  समझाते   और  कहते  ---- :;  तुम  सब  हिन्दू  जाति   के  अभिन्न  अंग  हो    ,  तुम्हे  दलित  जीवन  जीने  की  अपेक्षा   मानवीय  अधिकारों  के  लिए  संघर्ष  करना  चाहिए   और  दूसरी  ओर   वे  कुलीनों  से   भी  टक्कर  लेते ,    कहते   वर्ण  विभाजन  का  संबंध   मात्र  सामाजिक  व्यवस्था  से  है  l  "      उनकी   इस  अटूट  निष्ठा  का  ही  फल  था   कि   रामानंद  जैसे   महान  सवर्ण  संत   एक  दिन  स्वयं  ही    उनकी  कुटिया  में  पधारे    और  रविदास  को  दीक्षा  देकर   उनने  उनके   आदर्शों  की  प्रमाणिकता    को  खरा  सिद्ध  कर  दिया   l 

WISDOM -----

  '  सच्चे  गुरु  के  लिए   सैकड़ों  जन्म  समर्पित   हैं  ,  सच्चा  गुरु  वहां  पहुंचा  देता  है    जहाँ  शिष्य  अपने  पुरुषार्थ   से  कभी  नहीं  पहुँच  सकता   है  l  "   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' जो  भी  गुरुसत्ता  के  चरणों  में  ,  उनके  आदर्शों  के  प्रति     समर्पित  हो  ,  अपने  मन  व   बुद्धि  को  लगा  देता  है  ,  संशयों  को  मन  से  निकाल  देता  है  ,  उसके  जीवन  की  दिशा  धारा  ही  बदल  जाती  है   l   उसका  आध्यात्मिक  कायाकल्प  हो  जाता  है  l   आंतरिक  चेतना  के  परिमार्जन   एवं  उसके  विकास  के  लिए   जिस  दवा  की  आवश्यकता  होती  है  ,  वह  अत्यंत  दुर्लभ  होती  है  l   सामर्थ्यवान  गुरु  ही  ऐसी  दवा  देने  की  क्षमता  रखता  है   l "