19 March 2022

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " मनुष्य  मूलत:  संवेदनशील  प्राणी  है   l   उसमे  भाव - संवेदना   लबालब  भरी  हुई  है  l  यह  संवेदना किसी  कारणवश   जब  गलत  दिशा  में  मुड़   जाती  है   तो  मनुष्य  को  चोर , डाकू , लुटेरा , हत्यारा ,  आतंकवादी  बना  देती  है    l   हीन   परिस्थिति   और  संगति   में  पड़कर   आदमी  अपने  भीतर  के    ईश्वरत्व  के  ऊपर  पर्दा  डाल   देता  है  ,  जिसके  कारण    जिस  मानव  को    ममता , करुणा , दयालुता ,  सेवा , सहायता   का  पुंज  होना  चाहिए   ,  वही  ईर्ष्या , द्वेष ,  दुर्भाव ,  क्रोध , असहिष्णुता    जैसे  आक्रामक  और  पशु  भावों  को  अपनाकर  पशुतुल्य   प्रतीत  होने  लगता  है   l   इसका  मुख्य  कारण  परिस्थिति  है  l   ये  नकारात्मक  तत्व  जो  मनुष्य  के  भीतर  दिखलाई  पड़ते  हैं  ,  वे  वस्तुत:  दमन , शोषण , उत्पीड़न और  अत्याचार  की  प्रतिक्रियाएं  हैं   l  "      इसका  एक     दूसरा  पक्ष  भी  है       -- जब   यह  संवेदना     उच्च  आदर्शवादिता  को  अपनाती  है   तो  संत , सत्पुरुषों   और  समाजसेवियों  को  जन्म  देती  है   l   सम्राट अशोक  ने  कलिंग  युद्ध   का   जब  दिल  दहला  देने  वाला  दृश्य  देखा     तो  उसके  भीतर  की  संवेदना  जाग  गई ,  उसका  हृदय परिवर्तन  हो  गया   और  अब  इतिहास  उसे ' अशोक महान'  के  नाम  से  याद  करता  है  l 

WISDOM ------

   विश्व  प्रसिद्ध   भारतीय  वैज्ञानिक  डॉ.  भाभा   एक  धर्म प्राण  व्यक्ति  थे  l   अपने  वैज्ञानिक  अध्ययन  के  बाद  उन्हें   जो  भी  समय  मिलता   था  उसमें  वे  शास्त्रों  व  धर्म पुस्तकों  का  अध्ययन  करते  थे  l  उनके  पुस्तकालय  में  जहाँ  एक  ओर   विज्ञानं  की  पुस्तकें  थीं  वहीँ  दूसरी  ओर   की  अलमारी  धार्मिक  पुस्तकों  से  भरी  रहती  थी  l  डॉ.  भाभा  ने  कहा  था ----- "विज्ञानं  संसार  के  विनाश  के  लिए  नहीं  बल्कि   दुःखी   एवं  संतप्त  मानवता  के  कल्याण   और  उसकी  सेवा  करने  के  लिए  है   l   परमाणु  शक्ति  का  सही   उपयोग     विनाशकारी   बम    बनाने  में  नहीं    बल्कि  संसार  की  सुख - संमृद्धि  और  मानव  कल्याण  के  लिए  होना  चाहिए  l