पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " मनुष्य मूलत: संवेदनशील प्राणी है l उसमे भाव - संवेदना लबालब भरी हुई है l यह संवेदना किसी कारणवश जब गलत दिशा में मुड़ जाती है तो मनुष्य को चोर , डाकू , लुटेरा , हत्यारा , आतंकवादी बना देती है l हीन परिस्थिति और संगति में पड़कर आदमी अपने भीतर के ईश्वरत्व के ऊपर पर्दा डाल देता है , जिसके कारण जिस मानव को ममता , करुणा , दयालुता , सेवा , सहायता का पुंज होना चाहिए , वही ईर्ष्या , द्वेष , दुर्भाव , क्रोध , असहिष्णुता जैसे आक्रामक और पशु भावों को अपनाकर पशुतुल्य प्रतीत होने लगता है l इसका मुख्य कारण परिस्थिति है l ये नकारात्मक तत्व जो मनुष्य के भीतर दिखलाई पड़ते हैं , वे वस्तुत: दमन , शोषण , उत्पीड़न और अत्याचार की प्रतिक्रियाएं हैं l " इसका एक दूसरा पक्ष भी है -- जब यह संवेदना उच्च आदर्शवादिता को अपनाती है तो संत , सत्पुरुषों और समाजसेवियों को जन्म देती है l सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध का जब दिल दहला देने वाला दृश्य देखा तो उसके भीतर की संवेदना जाग गई , उसका हृदय परिवर्तन हो गया और अब इतिहास उसे ' अशोक महान' के नाम से याद करता है l
19 March 2022
WISDOM ------
विश्व प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक डॉ. भाभा एक धर्म प्राण व्यक्ति थे l अपने वैज्ञानिक अध्ययन के बाद उन्हें जो भी समय मिलता था उसमें वे शास्त्रों व धर्म पुस्तकों का अध्ययन करते थे l उनके पुस्तकालय में जहाँ एक ओर विज्ञानं की पुस्तकें थीं वहीँ दूसरी ओर की अलमारी धार्मिक पुस्तकों से भरी रहती थी l डॉ. भाभा ने कहा था ----- "विज्ञानं संसार के विनाश के लिए नहीं बल्कि दुःखी एवं संतप्त मानवता के कल्याण और उसकी सेवा करने के लिए है l परमाणु शक्ति का सही उपयोग विनाशकारी बम बनाने में नहीं बल्कि संसार की सुख - संमृद्धि और मानव कल्याण के लिए होना चाहिए l
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