2 February 2024

WISDOM ----

  संत  रैदास  के  प्रवचन  सुनने  हेतु  सैकड़ों  लोग  एकत्र  हुआ  करते  थे  l  एक  बार  एक  सेठ जी  भी  उनका  प्रवचन  सुनने  आए  l  कथा  के  उपरांत  प्रसाद  का  वितरण  आरम्भ  प्रारम्भ  हुआ  l  एक  हरिजन  का  प्रसाद  खाने  में  उन्हें  संकोच  हुआ   तो  उन्होंने  प्रसाद  हाथ  में  लेकर   एक  ओर  फेंक  दिया  l  वह   प्रसाद  एक  कोढ़ी  के  शरीर  से  टकराकर   नीचे  गिर  गया  , कोढ़ी  ने  वह  प्रसाद  उठाकर  खा  लिया   जिससे  वह  तो  ठीक  हो  गया   परन्तु  सेठजी  कुष्ठ  रोग  से  ग्रसित  हो  गए  l  अपने  दुःख  से  मुक्ति  पाने  हेतु   सेठ जी  , संत  रैदास  की  शरण  में  गए  l  मन  की  बात जानने  वाले   रैदास जी  ने  सेठ जी  से  कहा  ---- " वह   तो  मुल्तान  गया  अर्थात   अब  वह  प्रसाद  दोबारा  मिलना  कठिन  है  l "  परन्तु  दयावश  उन्होंने  सेठ जी  को  ठीक  कर  दिया  l  सेठ जी  को  अपनी  भूल  का  भान  हुआ  , उन्हें  यह  सत्य  समझ  में  आया  कि  मनुष्य  का  जन्म   किस  जाति , किस  धर्म  में  हुआ  है  , इस  पर  उसका  कोई  वश  नहीं  है   l  मनुष्य  जन्म  से  नहीं , कर्म  से  महान  होता  है  l  ये  भेदभाव  तो  मनुष्य  ने  अपने  स्वार्थ  और  अहंकार  के  पोषण  के  लिए   ही  बनाए  हैं  l