16 May 2020

WISDOM ---- हम ईमानदारीपूर्वक जीवन जिएं , विश्वासघात न करें l हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है l

  एक  घटना  है --- मीरजाफर  के  प्रेत  की   l  इतिहास  में  है  कि     मीरजाफर   बंगाल  के  नवाब  सिराजुद्दोला  से  विश्वासघात  कर   वहां  की  गद्दी  पर  आसीन  हुआ  ,  उन्ही  दिनों  उसने  एक  शानदार  हवेली  का  निर्माण  कराया   l   वह  हवेली   बहुत   भव्य  थी  l   लेकिन  मीरजाफर  की  गद्दारी  के  कारण  यह  भव्य  संरचना  ' नमक हराम  की  हवेली  '  के  नाम  से  विख्यात  हो  गई  l  कथा  इसी  हवेली  से  संबंधित   है  -----  घटना  उन  दिनों  की  है  जब  उस  हवेली  में  सरकारी  दफ्तर  लगता  था  l   रात  की  चौकीदारी  के  लिए  एक  व्यक्ति  रखा  गया  जिसका  नाम  था  -अलीबख्श  l
  दो  महीने  बीत  गए  l  एक  रात  जब  वह  चौकीदारी  कर  रहा  था  तो  नवाबी  वेश  में  एक  तीस - पैंतीस  वर्ष  का  व्यक्ति  उसके  सामने  खड़ा  था  l  उसने  चौकीदार  से  कहा --- मैं  मीरजाफर   यहाँ  का  मालिक  हूँ ,  मेरी  इच्छा  के  विरुद्ध  कोई  यहाँ  नहीं  आ  सकता  l   --- ' तुम  कौन  हो , यहाँ  क्या  कर  रहे  हो  l '  चौकीदार  की  घिग्घी  बँध   गई  ,  बोला --- ' मैं  बहुत  गरीब  हूँ  , किसी  तरह  यहाँ  काम  कर  के  अपना  परिवार  चलाता   हूँ  l '
वह  मीरजाफर    उसको  अपने  साथ  बगीचे  के  कोने  में  ले  गया   और  एक  गोल  घेरा  बनाकर  कहा  --
 " यहाँ  चार  सोने  की  ईंट  हैं  , इनसे  तुम  अपनी  गरीबी  मिटाओ    और  जीवन  में  एक  बात  सदा  याद  रखना ---  किसी  व्यक्ति , समाज   और  राष्ट्र  के  प्रति  कभी  विश्वासघात  न  करना   l  यह  इतना  बड़ा  पाप  है  , जो  कि   दूसरी  दुनिया  में  भी  व्यक्ति  को   बेचैन  किये  रहता  है  l  '  उसने  कहा --- "  मैं  इसका  प्रत्यक्ष  सबूत   हूँ  l   मेरे  उस  एक  विश्वासघात  ने  , जिसने  देश  को   दो  सौ   वर्षों  की  गुलामी  में  जकड़   दिया  , मुझे  अशांत  बनाये  रखा  है   l   प्रेत  की  योनि  में  रहने  से  बड़ी  सजा  शायद  इस  पाप  की  न  हो  l   ऐसी  स्थिति  में  मैं  तुम्हारे  जैसे  अभावग्रस्त  की  बराबर  सहायता  करता  हूँ  ,  यही  मेरे  पाप  का  प्रायश्चित  है  , इससे  मुझे  चैन  मिलता  है  l   इस  दुनिया  में  ईश्वर  का  न्याय  चलता  है  l   तुम  कभी   किसी  के  साथ    अनीति , विश्वासघात  न  करना  , अन्यथा  तुम्हे  भी   मेरी  जैसी  स्थिति  में   वर्षों  रहकर   दंड  भोगना  पड़ेगा   और  तब  पछताने  के  अलावा   कुछ  शेष  नहीं  रहता  l  ' 

WISDOM ---- स्वार्थ , लोभ - लालच जिसमें जितना अधिक है , वही दरिद्र और सबसे ज्यादा असहाय है

   एक  महारानी  ने  अपनी  मौत  के  बाद  अपनी  कब्र   के  पत्थर  पर   निम्न  पंक्तियाँ  लिखने  का  हुक्म  दिया  था ---- " इस  कब्र  में  अपार  धनराशि  गड़ी   हुई  है  l   जो  व्यक्ति  निहायत  गरीब  एवं   एकदम  असहाय  हो  ,  वह  इसे  खोदकर  ले  सकता  है  l  "
उस  कब्र  के  पास  से  हजारों  दरिद्र  एवं   भिखमंगे  निकले  ,  लेकिन  उनमें  से  कोई  भी   इतना  दरिद्र  और  असहाय  नहीं  था  , जो  धन  के  लिए    मरे  हुए  व्यक्ति  की  कब्र  खोदे  l   एक  अत्यंत  बूढ़ा  भिखमंगा   तो  वहां  सालों - साल  से  रह  रहा  था  l  वह  हमेशा  उधर  से  गुजरने  वाले   प्रत्येक  दरिद्र  व्यक्ति  को   कब्र  की  ओर   इशारा  कर   देता  था  l
आखिर  में  वह  व्यक्ति  आ  ही  गया  , जिसकी  दरिद्रता  इतनी  ज्यादा  थी  कि   उसने  कब्र  को  खोद  ही  डाला  l   वह  व्यक्ति  स्वयं  एक  सम्राट  था   और  उसने  उस  कब्र  वाले  देश  को   बस   अभी  - अभी  जीता  था   l   उसने  अपनी  विजय  के  साथ  इस  कब्र  की  खुदाई  शुरू  करा  दी  ,  पर  उसे  उस  कब्र  में   एक  पत्थर  के  सिवाय   और  कुछ  नहीं  मिला   l   इस  पत्थर  पर  लिखा  हुआ  था  --- मित्र  !  तू   अपने  से  पूछ  ,  क्या  तू  मनुष्य  है   ?  क्योंकि  धन  के  लिए   कब्र  में  सोये  हुए    मुरदों   को  परेशान    करने  वाला   मनुष्य   हो  ही  नहीं  सकता  l  "
वह  सम्राट   जब  निराश  होकर  कब्र  के  पास  से  वापस  लौट  रहा  था   तो  उस  कब्र  के  पास  रहने  वाले   बूढ़े  भिखमंगे   को  लोगों  ने  खूब  जोर  से  हँसते  देखा  l   वह  हँसते  हुए  कह  रहा  था  --- "  मैं  कितने  सालों  से  इंतजार  कर  रहा  था  ,  आख़िरकार  आज  धरती  के   दरिद्रतम  और  सबसे  ज्यादा  असहाय   व्यक्ति  का  दर्शन   हो  ही  गया  l  "