28 June 2022

WISDOM -------

    कलियुग  की  सबसे  बड़ी  समस्या   है   कि   इस  युग  में  मनुष्य  की  पहचान  कठिन  है   l  जो  जैसा  दिखाई  देता  है  , वो  वैसा  है  नहीं   l   त्रेतायुग  में  यह  स्पष्ट  था  कि  राक्षस  कौन  है  ?  सीता  हरण  रावण  ने  ही  किया  था  , सच  सबके  सामने  था ,  कुम्भकरण  कौन , मेघनाद  कौन  ,  खर , दूषण  कौन  ,  सब  जानते  थे  कि  ये  राक्षस  हैं  , समाज  में  आतंक  मचाते  हैं , ऋषियों  को  तंग  करते  हैं  l    इसी  तरह  द्वापरयुग  में   यह  सब  जानते  थे  कि कि  दुर्योधन , शकुनि  , दु:शासन  आदि  पांडवों  पर  अत्याचार  कर  रहे  हैं , उनका  हक  छीन  रहे  हैं   l   लेकिन  वर्तमान  युग  में   देवता  और  असुर  की  पहचान  करना  सबसे  कठिन  काम  है  l  कहते  हैं   अच्छाई  में  गजब  का  आकर्षण  होता  है  इसलिए  बुरे  से  बुरा  व्यक्ति  भी   अच्छाई  का  आवरण  ओड़  कर  समाज  में  आराम  से  रहता  है   l  रावण  के  दस   सिर  थे  ,  जो  उसने  तपस्या  कर  शिवजी  को  अर्पित  किए  थे   लेकिन  आज  मनुष्य      नकाब  पहन  कर   अपने  विभिन्न  सिरों  का  प्रयोग  उन  गतिविधियों  में  करता  है   जो  अँधेरे  में  होती  हैं   l  यही  कारण  है  कि  समाज  में  अपराध , तनाव , अशांति  बढती  जा  रही  है   l  एक  ओर  लोगों  को  अपने  नकाब  सँभालने  के  लिए  बहुत  धन  खर्च  करना  पड़ता  है ,  जुगाड़   करनी  पड़ती  है ,  तनाव  उत्पन्न  होता  है    दूसरी  ओर      ब्लैक मेलिंग   करने  वालों  का  व्यवसाय  चमक  जाता  है  ,  इस  सब  में  जो  पीड़ित  है  वह  अपने  ही  भाग्य  को  दोष  दे  पाता  है   l  यह  स्थिति  भगवान  के  लिए  भी  बड़ी  कठिन  हो  गई  ,  किसे  पहले  दंड  दें  ?  जो  अपराध  करता  दीख  रहा  है   उसे  ,  या  फिर  जो  इसका  सूत्रधार  है  उसे  ?  इसलिए  कलियुग  में  प्राकृतिक  प्रकोप  बहुत  होते  हैं   l  जानबूझकर ,   छिपकर ,   कायरतापूर्ण  तरीके  से  जो  अपराध  होते  हैं  उनसे  प्रकृति   भी  क्रोधित  हो  जाती  है   और  सामूहिक  दंड विधान  लागू  होता  है   l   जब  मनुष्य  की  चेतना  जाग्रत  होगी ,  विचार  परिष्कृत  होंगे   तभी  स्थिति  में  सुधार  होगा   l